भोपाल, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्यमंत्री स्तर की सुविधाओं के साथ गनमैन की सुविधा देने का ऐलान किया है। वहीं पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकार की लड़ाई लड़ रहा पंचायत प्रतिनिधि संगठन पंचायती राज अधिनियम 1994 को अक्षरश: लागू कराने की मांग पर अड़ा हुआ है।
मुख्यमंत्री चौहान ने मंगलवार को निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए कहा कि चुने हुए पंचायत प्रतिनिधियों के साथ न्याय करते हुए उन्हें अधिकार और सम्मान दिया जाएगा। उन्हें अधिकार संपन्न बनाने के लिए कानून में जरुरी बदलाव किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिला पंचायत अध्यक्षों को राज्यमंत्री के अधिकार दिए जाएंगे। उनके पास विकास कार्यो से संबंधित सभी नस्तियां भेजने की व्यवस्था की जाएगी। शर्त यह होगी कि पांच दिन में निराकरण कर अनुमोदित करें, नहीं तो स्वमेव अनुमोदित मानी जाएगी। जनपद पंचायत अध्यक्षों को भी पूरे अधिकार दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि वे सच्चे अर्थो में सरपंचों को अधिकार संपन्न बनाना चाहते हैं। निर्वाचित सरपंचों और पंचों के काम तय होंगे। पंचों को हर बैठक का अब 100 के बजाय 200 रुपये मानदेय मिलेगा।
जिला पंचायत अध्यक्षों को गनमैन की सुविधा देने की घोषणा करते हुए चौहान ने कहा कि यह सुविधा समाज में रुतबा दिखाने का प्रतीक नहीं बनना चाहिए।
चौहान ने कहा कि जिला पंचायत एवं जनपद पंचायत उपाध्यक्षों और सदस्यों को भी अधिकार संपन्न बनाया जाएगा, ताकि उनके पास अपने विवेक से विकास कार्यो पर राशि खर्च करने का अधिकार हो। इसी प्रकार जनपद पंचायत अध्यक्षों के लिए भी राशि खर्च करने की सीमा तय की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे भ्रष्टाचार को समूल नष्ट करने का संकल्प लें। सचिव के स्थानांतरण में अब सरपंच की सहमति जरूरी होगी। जहां मंत्री उपलब्ध नहीं होंगे, जिला पंचायत अध्यक्ष झंडा फहरा सकेंगे। ग्राम पंचायत में विकास के कामों को ग्राम सभा प्रस्तावित करेंगी और सरपंच अनुमोदित करेंगे।
चौहान ने पंचायत प्रतिनिधियों से आग्रह करते हुए कहा कि वे सूखे को देखते हुए अपनी पंचायतों में मनरेगा के ज्यादा से ज्यादा काम शुरू करें।
वहीं दूसरी ओर पंचायती राज अधिनियम को पूरी तरह अमल में लाए जाने की मांग करने वाले पंचायत प्रतिनिधि इन घोषणों से संतुष्ट नहीं है। इस संगठन से जुड़े प्रतिनिधि मुख्यमंत्री के साथ हुई बैठक में सम्मिलित भी नहीं हुए।
पंचायत प्रतिनिधि संगठन के संयोजक डी.पी. धाकड़ ने संवाददाताओं से कहा है कि उनकी मांग है कि 1994 के अधिनियम को पूरी तरह लागू किया जाए, इसको लेकर उनके प्रस्तावित आंदोलन में कोई बदलाव नहीं होगा।