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महिलाओं की भर्ती रोकने वाले नियमों के खिलाफ केंद्र, रक्षा मंत्रालय को नोटिस

नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर रक्षा मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया, जिसमें विधि में स्नातक करने वाली विवाहित महिला उम्मीदवारों को सेना के जज एडवोकेट जनरल (जेएजी) शाखा में भर्ती से रोकने वाली पात्रता शर्तो को असंवैधानिक घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की एक खंडपीठ ने भर्ती करने वाली केंद्र सरकार और सेना के महानिदेशालय को 10 अगस्त तक अपना जवाब देने के लिए कहा है।

याचिका कुश कालरा ने दाखिल की है, जिसमें कहा गया है कि जेएजी में विवाहित महिला उम्मीदवारों की भर्ती न करना ‘महिलाओं के प्रति भेदभाव’ है।

याचिका में कहा गया है कि सरकार जेएजी में विवाहित एवं अविवाहित पुरुषों की भर्ती करती है, जबकि महिलाओं में केवल अविवाहित महिलाओं की भर्ती की जाती है। कहा गया है कि इस ‘असंवैधानिक भेदभाव’ की वजह से विवाहित महिला उम्मीदवार, जो विधि में स्नातक हैं, ‘भारतीय सेना के जेएजी विभाग में सेवा देने के अपने अधिकार से वंचित’ हैं।

कुश कालरा ने याचिका में कहा, “लिंग के आधार पर यह भेदभाव कानून के समक्ष समानता के मौलिक अधिकार, लिंग के आधार पर भेदभाव न किए जाने के अधिकार, सार्वजनिक रोजगार के मामलों में अवसर की समानता, कोई भी काम-धंधा करने के मौलिक अधिकार व महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।”

महिलाओं की भर्ती रोकने वाले नियमों के खिलाफ केंद्र, रक्षा मंत्रालय को नोटिस Reviewed by on . नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर रक्षा मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया, जिसमें विधि में स्नातक करने वाली विवाहित महिला नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर रक्षा मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया, जिसमें विधि में स्नातक करने वाली विवाहित महिला Rating:
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