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 महिलाओं के साथ जानवरों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता : सर्वोच्च अदालत (लीड-1) | dharmpath.com

Thursday , 8 May 2025

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महिलाओं के साथ जानवरों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता : सर्वोच्च अदालत (लीड-1)

नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)।सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीएस) की धारा 497 व्यभिचार को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए इसे अपराध के दायरे से बाहर कर दिया है।

फैसला सुनाने वाले एक जज ने कहा कि महिलाओं के साथ जानवरों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा ने कहा, “व्यभिचार अपराध नहीं हो सकता। यह निजता का मामला है। पति, पत्नी का मालिक नहीं है। महिलाओं के साथ पुरूषों के समान ही व्यवहार किया जाना चाहिए।”

मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस ए.एम.खानविलकर की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि कई देशों में व्यभिचार को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, “यह अपराध नहीं होना चाहिए, और लोग भी इसमें शामिल हैं।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “किसी भी तरह का भेदभाव संविधान के कोप को आमंत्रित करता है। एक महिला को उस तरह से सोचने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जिस तरह से समाज चाहता है कि वह उस तरह से सोचे।”

न्यायाधीश रोहिंटन एफ. नरीमन ने फैसला सुनाते हुए कहा, “महिलाओं के साथ जानवरों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता।”

न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने एकमत लेकिन अलग फैसले में कहा कि समाज में यौन व्यवहार को लेकर दो तरह के नियम हैं, एक महिलाओं के लिए और दूसरा पुरूषों के लिए।

उन्होंने कहा कि समाज महिलाओं को सदाचार की अभिव्यक्ति के रूप में देखता है, जिससे ऑनर किलिंग जैसी चीजें होती हैं।

महिलाओं के साथ जानवरों जैसा बर्ताव नहीं किया जा सकता : सर्वोच्च अदालत (लीड-1) Reviewed by on . नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)।सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीएस) की धारा 497 व्यभिचार को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए इसे अपराध के द नई दिल्ली, 27 सितंबर (आईएएनएस)।सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीएस) की धारा 497 व्यभिचार को असंवैधानिक और मनमाना करार देते हुए इसे अपराध के द Rating:
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