यहां जारी बयान में उन्होंने कहा कि सपा शासन में दलितों एवं कमजोर पूरी तरह सुरक्षित और खुश हैं। दलितों की सपा की तरफ बढ़ते झुकाव को देखकर मायावती अपनी सियासी जमीन खिसकने के भय से कपोलकल्पित आरोप लगा रही हैं कि सपा और भाजपा में मिलीभगत है।
यादव ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से कहा कि सपा सरकार में दलितों से जुड़े हुए अपराध काफी कम हुए हैं। मायावती एवं उनकी बसपा की पूरी यूनिट को दलित उत्पीड़न का एक भी उदाहरण नहीं मिला। हरियाणा में जो हुआ वो दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है, भाजपा शासित राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति अत्यंत भयावह है। शिवपाल ने भाजपा नेताओं को षड्यंत्र छोड़ विकास और सद्भाव कायम करने की सलाह दी।
यादव ने बताया कि मायावती गौतमबुद्ध और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को बसपा की जागीर समझती हैं। उन्होंने कहा कि मायावती ने बसपा शासन काल में बुद्ध की जन्मस्थली सिद्धार्थनगर में एक ईंट तक नहीं धरा, जबकि सपा सरकार ने सिद्धार्थ के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना की। बाबा साहेब पर समाजवादियों ने पुस्तकें प्रकाशित कर बंटवाया, ताकि उनकी वैचारिक विरासत कमजोर न हो।
गौतमबुद्ध और बाबा साहब अंबेडकर से मायावती का कोई सरोकार नहीं है, उन्हें केवल सत्ता से मतलब है। सभी जानते हैं कि आरएसएस, भाजपा, शिवसेना जैसी सांप्रदायिक ताकतों से हर स्तर पर समाजवादी ही लड़ते हैं।
उन्होंने कहा कि दादरी के दोषियों के खिलाफ सपा सरकार ने कठोर कार्रवाई की, गिरफ्तार कर जेल भेजा और प्रभावशाली अंकुश लगाया, जिससे सांप्रदायिक ताकतों द्वारा उत्तर प्रदेश में गोधरा कांड दोहराने का षड्यंत्र विफल हो गया।
शिवपाल ने कहा कि मायावती जी का इतिहास सभी को पता है, वे नरेंद्र मोदी के प्रचार में गुजरात तक जा चुकी हैं और दो बार भाजपा की कृपा से ही मुख्यमंत्री बनी थीं।
उन्होंने कहा कि जिस उत्तर प्रदेश ने उन्हें चार बार मुख्यमंत्री बनाया, एक पहचान दी, उस प्रदेश में वे एक पर्यटक की भांति आती हैं और प्रेस कान्फ्रें स करके विलुप्त हो जाती हैं। उनकी उत्तर प्रदेश की जनता और जनतंत्र में जरा भी आस्था नहीं है।