मुंबई, 25 जून (आईएएनएस)। अपनी फिल्म ‘डैडी’ को लेकर उत्साहित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार अशीम अहलुवालिया का कहना है कि उन्होंने फिल्म के चरित्र को नायक बनाने की बजाय फिल्म की कहानी को अलग-अलग लोगों के नजरिए से पेश करने की कोशिश की है। यह फिल्म गैंगस्टर अरुण गवली के जीवन पर आधारित है।
अहलूवालिया से जब पूछा गया कि सिनेमा के प्रभावी माध्यम होने के कारण गैंगस्टर से सहानुभूति जताने से समाज को गलत संदेश जा सकता है, तो उन्होंेने आईएएनएस को बताया, “मैं इस बात को लेकर स्पष्ट था कि मैं एक वास्तविक चरित्र पर फिल्म बना रहा हूं, जहां मेरा मकसद उसे नायक बनाना नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मैं उससे जुड़े लोगों जैसे उसकी पत्नी, उसके सहयोगियों, उसके विरोधियों के नजरिए से फिल्म की कहानी को पेश करना चाहता था..जब आप फिल्म देखेंगे, तो समझेंगे कि कैसे उसके बारे में लोगों की अलग-अलग राय है, वह कुछ लोगों के लिए नायक था तो और लोगों के लिए अपराधी था।”
फिल्मकार के मुताबिक, हालांकि वह अपराध से कभी दूर नहीं रहा और इसलिए उन्हें पूरा विश्वास है कि कोई भी युवा गवली की तरह नहीं बनना चाहेगा और इसलिए वह फिल्म के जरिए समाज को गलत संदेश मिलने को लेकर चिंतित नहीं हैं।
यह पूछे जाने पर कि किस बात ने उन्हें गवली की कहानी दिखाने के लिए प्रेरित किया तो अहलूवालिया ने कहा कि यह एक दिलचस्प कहानी है, क्योंकि वह जानबूझकर अपराधी नहीं बना, बल्कि संयोग व परिस्थितियों से मजबूर होकर बन गया।
फिल्म में गवली का किरदार निभा रहे अर्जुन रामपाल ने पहली बार इसका पटकथा लेखन और निर्माण भी किया है।
फिल्म ‘डैडी’ 21 जुलाई को रिलीज हो रही है।