चंडीगढ़, 27 मई (आईएएनएस)। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने बुधवार को पंजाब सरकार द्वारा मोगा छेड़छाड़ मामले की पीड़िता के परिवार को मुआवजा राशि देने और रोजगार का आश्वासन देने, मगर पूरा न करने पर सवाल खड़े किए हैं।
पीड़िता और उसकी मां को मोगा के पास एक चलती बस में छेड़छाड़ के बाद बस से बाहर फेंक दिया गया था।
जिस बस में यह वारदात हुई वह बस पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की कंपनी ऑर्बिट एविएशन परिवहन कंपनी की थी।
इस हादसे में लड़की की मौत हो गई थी, जबकि उसकी मां गंभीर रूप से घायल हो गई थी।
न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायाधीश लीसा गिल की खंडपीठ ने मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए पीड़िता के परिवार को मुआवजा राशि और रोजगार का आश्वसान दिया था।
इसकी प्रतिक्रिया में महाधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने पुलिस महानिदेशक द्वारा दायर हलफनामा पढ़कर बताया कि इस मुआवजा राशि का भुगतान राज्य सरकार की ओर से नहीं बल्कि ऑर्बिट कंपनी की ओर से किया गया।
इस कथन को ध्यान में रख खंडपीठ ने इस संदर्भ में महाधिवक्ता से हलफनामा दायर करने को कहा।
एस.सी.अरोड़ा ने समाचार पत्रों की रपट का हवाला देते हुए कहा कि 25 प्रतिशत निजी बसें बिना किसी अनुमति पत्र के गैरकानूनी रूप से चल रही हैं।
मुख्यमंत्री बादल के राष्ट्रीय और मीडिया मामलों के सलाहकार हरचरण बैंस ने तीन मई को कहा था कि ऑर्बिट कंपनी राज्य सरकार की ओर से पीड़िता के परिवार को दिए जाने वाली 24 लाख रुपये की मुआवजा राशि देगी।