मुंबई, 2 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मंगलवार सात अप्रैल को होने वाली नए कारोबारी साल की पहली दुमाही मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा में रेपो दर को 7.50 फीसदी पर जस का तस छोड़ दिए जाने की उम्मीद है।
जियोजीत बीएनपी परिबास फाइनेंशियल सर्विसेज के फंडामेंटल रिसर्च प्रमुख विनोद नैयर ने यहां गुरुवार को आईएएनएस से कहा, “इस बार दर कटौती की कोई उम्मीद नहीं। अगले एक-दो महीने भी उम्मीद नहीं।”
उन्होंने कहा, “उपभोक्ता महंगाई दर के बढ़ने के कारण इस बार कठिन है। आरबीआई को आखिरी तिमाही में सरकारी बैंकों के तनाव वाले ऋण के सरलीकरण वाले मुद्दे को भी देखना होगा।”
नैयर अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा जून के शुरू में ब्याज दर में की जाने वाली संभावित वृद्धि के प्रभाव को देखने की भी प्रतीक्षा कर रहा है। जून में हालांकि फेड द्वारा दर वृद्धि की जाने की कम ही संभावना है।
जनवरी से लेकर अब तक आरबीआई ने नियत समय से हट कर दो बार रेपो दर में कटौती की है, जिससे कुल 50 आधार अंकों की कटौती के साथ यह वर्तमान स्तर पर आई है। इससे पहले के करीब दो साल तक दर में कटौती नहीं की गई थी।
रेपो दर वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक आरबीआई से छोटी अवधि के लिए कर्ज लेते हैं।
आगामी नीति समीक्षा में नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) को भी चार फीसदी पर जस का तस छोड़ दिए जाने का अनुमान है। सीआरआर वाणिज्यिक बैंकों की जमा पूंजी का वह अनुपात है, जो निश्चित रूप से आरबीआई में जमा रखना पड़ता है।
जनवरी में दर कटौती की घोषणा के दौरान आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था, “आगे की कटौती उन आंकड़ों पर निर्भर करेगी, जिससे महंगाई के दबाव में गिरावट और वित्तीय घाटा कम करने के रास्ते पर होने वाली प्रगति की जानकारी मिलेगी।”
उपभोक्ता महंगाई दर दिसंबर के 4.28 फीसदी से बढ़कर जनवरी 2015 में 5.11 फीसदी दर्ज की गई है।
इसके साथ ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्तीय घाटा को कम करते हुए तीन फीसदी लाने की समय सीमा को आगे बढ़ा दिया है और कहा है कि (पुरानी) समय सीमा पर टिके रहने से विकास की संभावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।