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राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मानव संसाधन विकास कठिन कार्य : राष्ट्रपति

नई दिल्ली, 4 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए मानव संसाधन का विकास एक कठिन कार्य है, जिसकी जिम्मेदारी भारत के राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय द्वारा उठाई जा रही है।

उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय में न सिर्फ सशस्त्र बलों के, बल्कि सिविल सेवाओं और मित्र देशों के वरिष्ठ अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधित नीति निर्णय लेने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाते हैं।

राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय के 55वें एनडीसी पाठ्यक्रम के सदस्यों और कर्मचारियों ने बुधवार को राष्ट्रपति भवन में मुखर्जी से मुलाकात की।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि किसी राष्ट्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह किस प्रकार और कितने प्रभावी ढंग से अपने सभी उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करता है। इन संसाधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण मानव संसाधन है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे जैसी लोकतांत्रिक प्रणाली में राज्य के विभिन्न अंगों को एक-दूसरे की ताकत और सीमाएं समझनी चाहिए। राजनीतिक नेतृत्व और सिविल सेवा के अधिकारियों को रक्षा बलों की क्षमताओं और सीमाओं से भली भांति परिचित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के अधिकारियों को भी संवैधानिक ढांचे की सीमाओं से परिचित होने की जरूरत है, जिसके तहत राजनीतिक तंत्र और सिविल सेवाएं कार्य करती हैं।

राष्ट्रपति ने उम्मीद जाहिर की कि यह पाठ्यक्रम अपने प्रतिभागियों को अधिक जागरूक और एक अच्छा जानकार व्यक्ति बनाएगा, ताकि वे देश की सुरक्षा के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए अच्छे विवेकपूर्ण निर्णय ले सकें।

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