Monday , 6 May 2024

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राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ में भ्रष्टाचारी-संघ और राष्ट्र के लिये घातक

अनिल सिंह-भोपाल से

942384_531553026910850_563792026_nआज संघ और भाजपा की तरफ दुनिया की दृष्टी है,तमाम अवरोधों के बाद भी हिन्दुस्थान के नागरिकों ने संघ के राष्ट्रवादी विचारों को अपना मत दिया और भाजपा को गद्दीनशीन किया.
हम देखते हैं कि 1885 में स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जहां आंतरिक कलह और परिवारवाद के कारण दिन-प्रतिदिन सिकुड़ती जा रही है, वहीं 1925 में दुनिया को लाल झंडे तले लाने के सपने के साथ शुरू हुआ भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन आज दर्जनों गुटों में बंट कर अंतिम सांसें ले रहा है। इनके विपरीत 1925 में ही स्थापित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिनोंदिन आगे बढ़ रहा है।

लेकिन भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इसे इसके साथी ही बदनाम कर रहे हैं.पूरा जीवन त्याग और तपस्या करने वाला वाह तपस्वी जब समाज के किसी पद पर राजनैतिक व्यवस्था में बैठाया जाता है तब उसकी एक अलग ही छवि अधिकांशतः समाज में सामने आती है और वह एक घोटालेबाज की होती है.

हम मध्यप्रदेश में तात्कालिक घटनाओं की तरफ यदी देखते हैं तो जितने भी घोटाले हुए या आरोप लगे उनमें संघ से निकले पदाधिकारी ही घेरे में आये हैं.पूर्व मंत्री लक्ष्मिकान्त शर्मा से लेकर सुधीर शर्मा की गैंग संघ के विचारों की पोषक ही मानी जाती है.

माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हुए हैं फिर भी कहा जाता है की संघ के दबाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उन्हें ही पुनः बैठाना चाहते हैं जबकी इनके कार्यकाल में सब-कुछ नियमों की अनदेखी कर हुआ.

प्रभात झा जिनकी कहानिया मशहूर हैं ने भी कम गोल-माल नहीं किया,भारतीय किसान संघ के शिवकुमार शर्मा जी जैसे ईमानदार कार्यकर्ता को षडयन्त्र पूर्वक बाहर कर देना संघ की मर्यादा तो कतई नहीं थी.प्रभात झा की जितनी भी प्रेस कॉन्फ़्रेंस होती थी कभी भी उनमें सच्चाई नहीं होती थी जबकी वे सुरेश सोनी की पसन्द माने जाते हैं जिन्हे ले कर आज हो हल्ला मचा हुआ है.

सुदर्शन जी का नाम व्यापम् घोटाले में आना जरूर दुखदायी रहा जबकी उन्हे भी नहीं पता था की जिसके लिये वे पुत्रवत स्नेह रख कह रहे हैं वो ही फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेगा और सुदर्शन जी को मृ‍त्यु उपरान्त बदनाम करेगा.ऐसे न्यायपथिकों को बदनाम उन्ही के करीब रहने वाले स्वार्थी तत्व करते हैं.

संघ की दिनोंदिन बढ़ती ताकत और सर्वस्वीकार्यता देखकर उसके विरोधी मनगढ़ंत आरोप लगाकर संघ की छवि को विकृत करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हमें स्वामी विवेकानंद का वचन अच्छी तरह याद है: ‘हर एक बड़े काम को चार अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है: उपेक्षा, उपहास, विरोध और अंत में विजय।’ इसी विजय को अपनी नियति मानकर संघ समाज-कार्य में जुटा हुआ है।

लेकिन भगवान को भी अपनी मर्जी से चलाने का विचार रखने वाले तत्व संघ की वैचारिक मर्यादा को तार-तार कर राष्ट्रद्रोह में मशगूल हैं,लेकिन संघ का विचार ऐसे लोगों से निपटना भी जानता है,और अपने आप को सुरक्षित रखना भी.

राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ में भ्रष्टाचारी-संघ और राष्ट्र के लिये घातक Reviewed by on . अनिल सिंह-भोपाल से आज संघ और भाजपा की तरफ दुनिया की दृष्टी है,तमाम अवरोधों के बाद भी हिन्दुस्थान के नागरिकों ने संघ के राष्ट्रवादी विचारों को अपना मत दिया और भा अनिल सिंह-भोपाल से आज संघ और भाजपा की तरफ दुनिया की दृष्टी है,तमाम अवरोधों के बाद भी हिन्दुस्थान के नागरिकों ने संघ के राष्ट्रवादी विचारों को अपना मत दिया और भा Rating:
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