लंदन, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)। डिजिटल सिस्टम्स पर बढ़ती निर्भरता और व्यवसायिक सॉफ्टवेयर के बढ़ते इस्तेमाल के कारण दुनिया भर के नागरिक परमाणु ऊर्जा ठिकानों पर साइबर हमले का खतरा बढ़ता जा रहा है। लंदन के थिंक टैंक ‘चथम हाउस’ की सोमवार की रपट में इसका खुलासा किया गया है।
रपट में आगाह किया गया है कि इंटरनेट कनेक्टिविटी के व्यवसायिक लाभ का अर्थ है कई परमाणु संयंत्रों में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) कनेक्शन इंस्टाल है और सर्च इंजन ऐसे कनेक्शन के जरिए बड़ी ही आसानी से ऐसे कनेक्शन के महत्वपूर्ण बुनियादी घटकों का पता लगा सकते हैं।
यहां तक कि जहां इन सुविधाओं को पब्लिक नेटवर्क से अलग रखा जाता है, वहां भी महज एक फ्लैश ड्राइव के जरिए इनकी सुरक्षा में सेंध लगाई जा सकती है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रपट के मुताबिक, विशेषज्ञों ने आपूर्ति श्रृंखला में सेंध, व्यक्तिगत प्रशिक्षण की कमी और साइबर सुरक्षा के लिए सक्रिय की जगह प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण अपनाने को भी इस खतरे को बढ़ाने का जिम्मेदार बताया।
खतरों को कम करने के लिए अध्ययनकर्ताओं ने इसके कई उपाय सुझाए हैं।
साइबर सुरक्षा उपायों के तहत खतरे का समन्वित आकलन, सुरक्षित आई टी के नियम लागू करना, ओद्यौगिक कम्प्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम का गठन और नियामक मानदण्डों को वैश्विक स्तर पर अपानाने को प्रोत्साहन देना शामिल है।