नई दिल्ली, 5 नवंबर (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों के समाज के साथ संबंध को गहरा करना चाहिए और उसे वैज्ञानिक तौर पर विकसित करना चाहिए।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) व भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) की संयुक्त पहल ‘इंप्रिंट इंडिया’ के लांच अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा, “ज्ञान व्यक्तिगत होता है। हमें एक बहुविषयक विचार का पालन करने की जरूरत है, जो विद्यार्थियों को समग्र रूप से सीखने व जानने में सक्षम बना सके।”
उन्होंने कहा, “हमारे संस्थान को विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए, जो अध्ययन के अलावा उनकी बुद्धि का विस्तार करे, चरित्र निर्माण करे और मातृभूमि के प्रति प्रेम पैदा करे।”
राष्ट्रपति ने कहा कि हालांकि गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा संस्थान होंगे, तो ज्यादा से ज्यादा सीटें होंगी, जिससे उच्च शिक्षा तक लोगों की पहुंच बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि पहली बार भारतीय संस्थान दुनिया के शीर्ष 200 संस्थानों की सूची में स्थान पा सके हैं।
राष्ट्रपति ने कहा, “मैं इस बात की प्रशंसा करता हूं कि अमेरिका द्वारा दुनिया के 200 विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू को 147वां स्थान, जबकि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली को 197वां स्थान मिला है।”