शिमला, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। शिमला में एक बार फिर अवैध निर्माण को वैध कर दिया गया है। इसके लिए राज्य की विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया है।
शिमला, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। शिमला में एक बार फिर अवैध निर्माण को वैध कर दिया गया है। इसके लिए राज्य की विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया है।
इस विधेयक के पारित होने से “क्वीन ऑफ हिल्स’ के नाम से जानेवाले इस राज्य के ज्यादातर शहरों में हुए अवैध निर्माण को फायदा होगा।
इससे वैसे निर्माण भी नियमित हो जाएंगे जो इतने कमजोर हैं कि मध्यम तीव्रता के भूकंप के दौरान ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह सकते हैं। वहां गलियां इतनी तंग है कि जहां से शव निकालने में भी मुश्किल हो सकती है। लेकिन अब यह कानूनी दायरे में हैं, कम से कम अभी तक।
हिमाचल प्रदेश शहर और गांव योजना (संशोधन) विधेयक 2016 को उचित ठहराते हुए शहर एवं गांव योजना मंत्री सुधीर शर्मा ने आईएएनएस को बताया कि अवैध इमारतों को बड़े पैमाने पर तोड़ना व्यावहारिक नहीं है। ‘इसलिए हमने अवैध ढांचों को एक बार छूट देने के लिए नीति बनाई है।’
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि संशोधन विधेयक से करीब 25,000 अवैध निर्माण नियमित हो जाएंगे, जिसमें आवासीय और वाणिज्यिक दोनों तरह की इमारतें हैं। ऐसी नीति इससे पहले भी सरकारों ने समय समय पर करीब छह बार लागू किया है। अब तक अवैध निर्माण को नियमित करने के 8,198 आवेदन सरकार को मिले हैं, जिनमें से 2,108 इमारतों को नियमित कर दिया गया है।
सरकार की लोकलुभावन नीतियों का विरोध करते हुए शिमला के निवासी अरुण शर्मा ने बताया, “एक के बाद एक सरकारों ने चाहे वो कांग्रेस की सरकार हो या भाजपा की सरकार हो, शहर को कंक्रीट के जंगल में तब्दील कर दिया है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि इमारतें संरचनात्मक रूप से सुरक्षित हैं या नहीं। यह भ्रष्ट नेताओं, बिल्डर और अफसरों के गठजोड़ का नतीजा है।”
अतीत में आए भूकंप के झटके भी अधिकारियों को उनकी नींद से जगाने में नाकाम रहे हैं। कुल्लू और शिमला में 27 अगस्त को भूकंप के हल्के झटके देखे गए, अगले ही दिन चंबा जिले में भी मध्यम दर्जे का भूकंप आया। अगर शिमला में भूकंप के तेज झटके आये तो भारी तबाही मचेगी, क्योंकि यह शहर सेसमिक जोन चार और पांच के बीच में है।
शिमला की योजना अधिकतम आबादी 16,000 को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, लेकिन अब यहां की आबादी 2,36,000 है। यह 2011 की जनगणना के आंकड़े हैं।
शिमला के उपमहापौर मेयर तिकेंद्र पंवार ने आईएएनएस को बताया, “शिमला के निगम क्षेत्र में 200 से ज्यादा सार्वजनिक सेवाओं की इमारतों, अस्पतालों और सरकारी स्कूलों की इमारतों को भूकंपरोधी बनाने की जरूरत है। “
राज्य सरकार द्वारा इस विधेयक के पारित करने पर राज्य के उच्च न्यायालय ने भी नाखुशी जाहिर की है। न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर की पीठ ने इस हफ्ते की शुरुआत में कहा था, “हजारो अवैध निर्माण रातोंरात खड़े नहीं होते। सरकारी मशीनरी उस वक्त चुपचाप देखती रही है जब अवैध इमारतों का निर्माण होता है और सरकारी जमीन पर कब्जा जमाया जाता है।”
वहीं, विरोध के डर से मंत्री शर्मा कहते हैं, “अगर कोई नियमतिकरण के लिए असुरक्षित इमारत का आवेदन करता है तो उसे नियमित नहीं किया जाएगा।”