Tuesday , 7 May 2024

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संकट हरने वाला बाबा बोहकाला

baba-bohkalaभगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए गीता उपदेश के माध्यम से विश्व को कर्म का मर्म समझाने वाली हरियाणा की पावन धरा पर विभिन्न गांवों और शहरों में बने मंदिर और धार्मिक स्थल संस्कृति दर्शन की अनुपम धरोहर तो हैं ही, साथ ही प्रदेश के लोगों की अनेक देवी-देवताओं में अगाध श्रद्धा के भी द्योतक हैं। रेवाड़ी जिले के कोसली उपमंडल के नाहड़ खंड में बसे गांव सुरेहली में बना बाबा बोहकाला मंदिर भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां पर विभिन्न अवसरों पर बाबा बोहकाला के भक्तों की अपार भीड़ उमड़ती है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से आकर यहां मन्नत मांगता है तो बाबा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।

यह भक्तों की बाबा बोहकाला के प्रति गहरी आस्था का ही प्रमाण है कि श्रद्धालु हर शुभ कार्य से पहले बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं। बुजुर्ग श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा बोहकाला का जन्म बोहका गांव में हुआ था, इसीलिए श्रद्धालु इन्हें बाबा बोहकाला के नाम से पुकारते हैं। सुरेहली के ग्रामीण इन्हें गांव के इष्ट बाबा मानते हैं। इस मंदिर में ग्रामीण गठजोड़े की धोक लगाकर बाबा का आशीर्वाद भी लेते हैं। अपने इष्ट आराध्य के प्रति अटूट विश्वास और अगाध आस्था रखने वाले बाबा बोहकाला के भक्तों का मानना है कि सच्चे मन से बाबा के आगे शीश झुकाकर आराधना करने से तन-मन के सब संकट दूर हो जाते हैं तथा हर मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पर सुबह-शाम अनेक श्रद्धालु बाबा के आशीर्वाद के लिए आते रहते हैं। श्रावण मास में महाशिवरात्रि के दिन कांवडि़यों और शिवभक्तों का यहां पर तांता लगा रहता है। जन्माष्टमी के अवसर पर अनेक कृष्ण-भक्त भी यहां पर पधारते हैं। होलिका दहन से अगले दिन दुलहंडी को यहां पर विशाल मेला आयोजित किया जाता है जिसमें दूर-दूर से आकर अनेक श्रद्धालु मेले की शोभा बढ़ाते हैं और बाबा का आशीर्वाद लेकर शक्कर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। दुलहंडी के दिन मंदिर कमेटी की देखरेख में आयोजित किए जाने वाले इस मेले में खेलों का आयोजन भी किया जाता है तथा साथ ही सांग के साथ-साथ ग्रामीण पृष्ठभूमि के अनेक कार्यक्रम भी हरियाणवी संस्कृति की छटा से लोगों को सराबोर कर देते हैं। इस दिन देश-प्रदेश में रहने वाले गांव के सभी श्रद्धालु बाबा के दरबार में आकर शीश झुकाना नहीं भूलते।

मंदिर कमेटी के प्रधान शेरसिंह यादव का कहना है कि सुरेहली के ग्रामीणों और बाबा बोहकाला के श्रद्धालुओं की आस्था और सहयोग से ही बाबा के इस भव्य मंदिर का निर्माण किया गया है। मंदिर में अनेक देवी-देवताओं की भव्य प्रतिमाओं को भी स्थापित किया गया है। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा बोहकाला अपने भक्तों के हर संकट को दूर कर उन्हें असीम शांति और सुख प्रदान करते हैं।

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