बैंकॉक, 28 जून (आईएएनएस)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण है।
बैंकॉक, 28 जून (आईएएनएस)। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं बल्कि वैश्विक दृष्टिकोण है।
16वें विश्व संस्कृत सम्मेलन के उद्घाटन पर उन्होंने कहा, “जैसे किसी के परिवार में पारस्परिक विश्वास, प्रेम, सद्भावना, सहयोग और समावेशी गुणों की जरूरत होती है, वैसे ही विश्व के विभिन्न देशों, समाजों, पंथों तथा परंपराओं में सद्भावना, विश्वास और सहयोग जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “संस्कृत सिर्फ भाषा नहीं है। यह वैश्विक दृष्टिकोण है। यह एक वैश्विक दृष्टिकोण है जो कहता है कि उत्कृष्ट विचार को अपने पास आने दें और विश्व को निर्मल बनाएं।”
सुषमा ने कहा, “सार्वभौमिकता, सद्भावना, साझा कल्याण तथा समावेशिता से चित्रित होने का विचार ही सिर्फ विश्वभर के विभिन्न समुदायों को मित्रवत रूप से साथ ला सकता है। जो समावेशी अवधारणा संस्कृत में ही रही है। यह इसकी संस्कृति है।”
उन्होंने कहा कि संस्कृत वैश्विक भाषा है और योग करने वाले 177 देशों में निवास करते हैं।
सुषमा ने कहा, “इनमें से अधिकांश ने संस्कृत का अध्ययन शुरू कर दिया है।”