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‘सड़क की हिंसा तनाव, आक्रामक स्वभाव का परिणाम’

नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली में सड़कों पर यातायात के दौरान होने वाले झगड़ों और हिंसा की संख्या लगाता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार के झगड़े और हिंसा बढ़ते तनाव, पीड़ित के प्रति उदासीनता और आक्रामक स्वभाव का परिणाम हैं।

ऐसे 265 मामलों में वर्ष 2010 से 2014 के बीच दिल्ली पुलिस 350 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसे कम करने के दिल्ली पुलिस के प्रयासों के बावजूद पिछले पांच सालों में ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं।

पांच अप्रैल को दिल्ली के तुर्कमान गेट के पास हुई ऐसी ही एक घटना ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है। पांच अप्रैल को बाइक सवार 38 वर्षीय शाहनवाज से जाम में जगह देने को लेकर हुई बहस के बाद एक आई20 कार में सवार पांच लोगों ने शाहनवाज की बुरी तरह पिटाई की थी, जिसके बाद शानवाज की मौत हो गई थी।

विशेषज्ञ ‘तनाव’ को सड़क पर होने वाली हिंसा में वृद्धि का कारण मानते हैं।

फोर्टीज हेल्थकेयर में मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियोरल साइंसेज के निदेशक समीर पारिख ने कहा, “यह मानसिक विकार नहीं है। यह हमारे आसपास रहने वाले लोगों की मन:स्थिति है। यह समाज में व्याप्त उच्च स्तर के तनाव के कारण है।”

वर्ष 2014 में दिल्ली पुलिस ने जनवरी से लेकर नवंबर तक सड़क पर होने वाले विवाद और हिंसा के 93 मामले दर्ज किए थे। वर्ष 2013 में ऐसे 53 और वर्ष 2012 में ऐसे 49 मामले दर्ज हुए थे।

दिल्ली पुलिस के अधिकारी ऐसी बढ़ती घटनाओं के आगे असहाय हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, “सड़क पर होने वाले झगड़ों पर लगाम लगा पाना मुश्किल है, क्योंकि यह लोगों की मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। वाहन चलाते समय हर किसी को धर्य रखना चाहिए, अन्यथा ऐसी घटनाएं नहीं रुक सकतीं।”

उन्होंने बताया, “हमने ऐसे मामलों के अपराधियों को कम समय में पकड़ा, लेकिन हम ऐसे मामले रोकने में असफल रहे हैं।”

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों अनुसार, पुलिस ने वर्ष 2014 में नवंबर तक ऐसे मामलों में 118 लोगों को गिरफ्तार किया था।

एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, “इसका स्तर इतना बढ़ चुका है कि वे पुलिसकर्मियों को मारने में भी पीछे नहीं हटते, जैसा कान्स्टेबल माना राम के मामले में हुआ था।”

माना राम ने 14 जून, 2014 को जखीरा फ्लाईओवर पर प्रवेश निषेध नियम का उल्लंघन करने वाली कार को रुकने का संकेत किया था और कार उन्हें 150 मीटर तक घसीटती चली गई थी।

विद्यासागर मानसिक स्वास्थ्य, न्यूरो एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ मनोचिकित्सक संजय पटनायक ने कहा, “यह व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है। यह शराब जैसी चीजों के प्रभाव के कारण भी होता है। यह लोगों के क्रोधी स्वभाव और मिजाज पर भी निर्भर है।”

‘सड़क की हिंसा तनाव, आक्रामक स्वभाव का परिणाम’ Reviewed by on . नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली में सड़कों पर यातायात के दौरान होने वाले झगड़ों और हिंसा की संख्या लगाता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। दिल्ली में सड़कों पर यातायात के दौरान होने वाले झगड़ों और हिंसा की संख्या लगाता बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रक Rating:
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