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सर्वोच्च न्यायालय ने ऋण डिफाल्टरों की सूची मांगी (लीड-1)

नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऐसी कंपनियों की सूची मांगी है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 500 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण चुकाने में असफल रहे हैं या जिनके ऋण को कॉरपोरेट ऋण पुनर्गठन योजना के अंतर्गत पुनर्गठित किया गया है।

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ ने आरबीआई को इससे संबंधित हलफनामा दाखिल करने का आदेश देते हुए कहा कि सूची मुहर बंद लिफाफे में पेश की जाए।

एक वकील द्वारा कंपनियों की वाणिज्यिक गोपनीयता का मुद्दा उठाए जाने के बाद पीठ ने सूची मुहरबंद लिफाफे में देने के लिए कहा।

प्रधान न्यायाधीश ठाकुर ने आरबीआई के वकील से पूछा कि क्या उसके पास आज ऐसे प्रमुख डिफॉल्टरों की सूची है, जो कंपनी भी चला रहे हैं और फिर भी ऋण नहीं चुका रहे हैं।

अदालत ने महाधिवक्ता रणजीत कुमार को लक्षित करते हुए कहा, “आप यह जानते हुए भी ऋण देते हैं कि यह वापस नहीं आएगा और उसे बुरा ऋण घोषित कर देते हैं। यह 10 साल से हो रहा है और इसलिए अर्थव्यवस्था का विकास नहीं हो रहा है। हमारे पास भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है।”

यह मानते हुए भी कि दूसरे देश में भी ऋण चुकाने में विफलता सामने आती रही है और यह आर्थिक प्रक्रिया का हिस्सा है, अदालत ने कहा कि बैंकों को ऋण वसूली में सतर्क रहना चाहिए।

अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में हुडको द्वारा 2003 में कथित रूप से कुछ अयोग्य कंपनियों को ऋण दिए जाने का मामला उठाया गया है।

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की याचिका की पैरवी करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि एक चक्र है, जिसमें ऋण नहीं चुकाने वाली कंपनियों की गिरवी रखी हुई संपत्तियां नीलामी के दौरान फिर से उसी कंपनी के पास पहुंच जाती हैं।

उन्होंने अदालत से कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग ने नौ मामलों में नौ आदेश देकर ऋण नहीं चुकाने वाली कंपनियों की पहचान बताने के लिए कहा और प्रत्येक बार वाणिज्यिक गोपनीयता प्रावधान का हवाला देकर बैंकों को सूचना देने से रोक दिया गया।

भूषण ने अदालत से कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 16 दिसंबर, 2015 के आदेश में कहा था कि बैंक और आरबीआई डिफॉल्टरों, घाटा और बैंकों की कथित अनियमितता की जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत अपवाद का हवाला देकर रोक नहीं सकते।

उन्होंने कहा कि इस आदेश का पालन नहीं किया गया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने ऋण डिफाल्टरों की सूची मांगी (लीड-1) Reviewed by on . नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऐसी कंपनियों की सूची मांगी है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 50 नई दिल्ली, 16 फरवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से ऐसी कंपनियों की सूची मांगी है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों के 50 Rating:
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