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सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी क्रेच की जरूरत : इंदिरा जयसिंह

नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय में अब तक शिशु देखभाल केंद्र शुरू नहीं हो पाया है, इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि महिला कर्मचारी ‘शोपीस’ की जगह प्रभावी सुविधा चाहती हैं।

नई दिल्ली, 2 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय में अब तक शिशु देखभाल केंद्र शुरू नहीं हो पाया है, इस बीच वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा कि महिला कर्मचारी ‘शोपीस’ की जगह प्रभावी सुविधा चाहती हैं।

सर्वोच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (आम प्रशासन) ने एक जुलाई, 2015 को होने वाले इसके उद्घाटन को स्थगित कर दिया, क्योंकि इससे पहले महिला वकील अनिंदिता पुजारी ने क्रेच में अपूर्णता की बात करते हुए 29 जून को इसके खिलाफ याचिका दायर की थी।

जयसिंह ने आईएएनएस को बुधवार शाम कहा, “उद्घाटन को स्थगित करने की अपेक्षा सर्वोच्च न्यायालय याचिकाकर्ता को चर्चा के लिए बुला सकता था। हम एक शोपीस क्रेच नहीं चाहते। हम पिछले तीन सालों से क्रेच की मांग कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने न तो इसकी स्थापना न ही इसके उद्घाटन को खारिज करते वक्त मुझसे संपर्क किया।”

इसकी कमियों को गिनाते हुए पुजारी ने अपनी याचिका में कहा कि अब तक जहां छह से दो साल के बच्चों को रखे जाने का प्रावधान रहा है, वहीं अब छह महीने से छह साल तक के बच्चों को रखे जाने को मंजूरी दी जानी चाहिए। उन्होंने एक क्रेच सह दैनिक देखभाल इकाई और मांओं को चिकत्सीय सुविधा देने वाले केंद्र की जरूरत पर भी प्रकाश डाला।

जयसिंह ने इसके लिए 5,000 रुपये के प्रस्तावित शुल्क की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह सर्वोच्च न्यायालय की जिम्मेदारी है कि वह अपने कर्मचारियों का ख्याल रखे और क्रेच की सुविधा मुफ्त होनी चाहिए।”

पुजारी ने आईएएनएस से कहा, “मैं चाहती हूं कि अन्य महिलाएं ऐसी सुविधाओं का लाभ उठा सकें। इस याचिका का मकसद इसे और प्रभावी बनाना है।”

उन्होंने अपनी याचिका में इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि इन कार्यो के लिए जिन सहायकों तथा प्रभारियों की नियुक्ति को लेकर सर्कुलर जारी किया गया है, उसमें उनके बच्चों के देखभाल संबंधी विशिष्ट ज्ञान और अनुभव संबंधी योग्यता का जिक्र नहीं किया गया है।

पुजारी ने याचिका में कहा कि ऐसे केंद्रों में सिर्फ 10 बच्चों को रखे जाने की सीमा तय की गई है, जो कि इसके उद्देश्य को ही समाप्त कर देती है।

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