नई दिल्ली, 6 मई (आईएएनएस)। दैनिक जागरण हिंदी बेस्टसेलर किताबों की जनवरी से मार्च, 2019 के बीच सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों की सूची जारी की गई। यह घोषणा ‘हिंदी हैं हम’ फेसबुक पेज पर लाइव किया गया है। सूची में कथा, कथेतर, अनुवाद और कविता की 4 श्रेणियों में 10-10 किताबों की सूची जारी की गई है।
सूची का अनावरण साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवास राव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. कुमुद शर्मा, लेखिका क्षमा शर्मा एवं जागरण प्रकाशन लिमिटेड के इग्जिक्यूटिव एडिटर विष्णु त्रिपाठी ने किया।
विज्ञप्ति के अनुसार, कथा श्रेणी में युवा लेखकों का बोलबाला रहा। हिंदी साहित्यकारों की नई पीढ़ी के सबसे जानेमाने नामों में शुमार नीलोत्पल मृणाल की ‘औघड़’ एवं ‘डार्क हॉर्स : एक अनकही दास्तान’ इस श्रेणी में शीर्ष पर हैं।
सत्य व्यास की ‘बनारस टॉकीज’, ‘चौरसी’ और ‘दिल्ली दरबार’, लेखक गौरव सोलंकी के ‘ग्यारहवीं -अ के लड़के’, दिव्या प्रकाश दुबे की ‘अक्टूबर जंक्शन’, अजीत भारती की ‘घर वापसी’ एवं लेखक नवीन चौधरी की छात्र राजनीति पर आधारित पुस्तक ‘जनता स्टोर’ टॉप 10 में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं।
कथेतर (नॉन फिक्शन) श्रेणी में लेखक अशोक कुमार पाण्डेय की ‘कश्मीरनामा’ शीर्ष पर है, लेखक मानव कौल की ‘तुम्हारे बारे में’ दूसरे स्थान और अभिनेता आशुतोष राणा की ‘मौन मुस्कान की मार’ तीसरे स्थान पर है।
इसी श्रेणी में लेखक अजीत भारती की ‘बकर पुराण’, सुरेंद्र मोहन पाठक ‘न बैरी न कोई बेगाना’ और अजीत त्रिवेदी की दो पुस्तकें ‘हार नहीं मानूंगा- एक अटल जीवन गाथा’ एवं ‘यदा यदा हि योगी’ शीर्ष 10 में हैं।
अनुवाद श्रेणी में लेखक अमीश त्रिपाठी की ‘सीता-मिथिला की योद्धा’ पहले स्थान पर, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा ‘मेरी जीवन यात्रा’ दूसरे पायदान पर एवं चेतन भगत की पुस्तक ‘रेवोल्यूशन 2020’ तीसरे स्थान पर है।
इस श्रेणी में विश्वनाथ घोष की ‘चाय चाय’ आनंद नीलकंठन की ‘असुर-पराजितों की गाथा’ पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम जी। राजन ‘आई डू बट आई डू’ का हिंदी अनुवाद एवं राजनेता शशि थरूर की ‘मैं हिंदू क्यों हूं’ शीर्ष 10 में हैं।
विष्णु त्रिपाठी ने कहा, “हिंदी बेस्टसेलर हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार के लिए एक छोटी-सी मगर महत्वपूर्ण पहल है। इस पहल से हिंदी साहित्य समृद्ध होगा।”
वहीं, डॉ. श्रीनिवास राव ने कहा, “इस तरह का प्रयास हिंदी जगत के लिए सार्थक है। इन सूचियों को देखकर लेखक भी पाठकों की रुचि को देखकर लिख रहे हैं।”
लेखिका क्षमा शर्मा ने कहा, “हिंदी जो अंग्रेजी प्रकाशकों के लिए अछूत थी, इस पहल के कारण आज हिंदी पुस्तकों का भी अंग्रेजी प्रकाशक अनुवाद करना चाह रहे हैं।”
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ. कुमुद शर्मा ने कहा, “हिंदी बेस्टसेलर पुस्तक संस्कृति को पुन: स्थापित करने की एक सकारत्मक पहल है।”