भोपाल, 7 सितम्बर (आईएएनएस)। जाने माने कवि राजेश जोशी का कहना है विश्व हिंदी सम्मेलनों से हिंदी का कितना भला हुआ है, इस पर केंद्र सरकार को श्वेत-पत्र जारी करना चाहिए।
मध्य प्रदेश से संबंध रखने वाले कवि राजेश जोशी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, “सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि 10वें हिंदी सम्मेलन का मतलब क्या है, क्या यह आयोजन भाषा शास्त्र का आयोजन है, या समग्र हिंदी का आयोजन। अगर यह समग्र हिंदी भाषा का आयोजन है तो साहित्य को कैसे दूर रखा जा सकता है। सम्मेलन में किस तरह के विशेषज्ञ या विद्वान बुलाए जा रहे हैं, यह सामने आना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर यह सम्मेलन किसी संगठन, दल या वर्ग का है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, परंतु यह तो स्पष्ट होना ही चाहिए कि यह सम्मेलन किसका है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 10 से 12 सितम्बर तक 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा है। आयोजकों का कहना है कि यह सम्मेलन पिछले आयोजनों से अलग व महत्वपूर्ण होगा, और हिंदी को सशक्त करने का बड़ा माध्यम बनेगा।
आयोजकों के दावे पर जोशी का कहना है कि साहित्य के बिना किसी भाषा की चर्चा नहीं हो सकती, क्या कभी आपने सुना है कि अंग्रेजी के सम्मेलन में शेक्सपीयर को दूर रखकर आयोजन हुआ है।
विश्व हिंदी सम्मेलनों के आयोजन के सवाल पर जोशी ने कहा, “सरकार को अब तक हुए नौ सम्मेलनों पर श्वेत-पत्र जारी कर यह बताना चाहिए कि इनसे हिंदी का कितना विस्तार हुआ, उत्थान हुआ, हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए क्या किया गया।”
विश्व हिंदी सम्मेलन में स्थानीय साहित्यकारों को दूर रखे जाने से इस वर्ग में गहरा क्षोभ है। इतना ही नहीं आमंत्रण तक नहीं भेजे गए हैं। जोशी भी उनमें शामिल हैं, जिन्हें अब तक बुलावा नहीं आया है।
इस पर जोशी ने कहा कि बुलावा कोई मायने नहीं रखता, मगर सम्मेलन हिंदी के बढ़ावे के लिए होना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए। “वे राजनीति में कुछ भी करें, मगर हिंदी का नाम लेकर राजनीति न करें।”