अमेरिका में सवा दो सौ वर्ष के संवैधानिक इतिहास में किसी महिला के राष्ट्रपति बनने की बात दूर, प्रमुख पार्टियों ने उन्हें अपना उम्मीदवार तक नहीं बनाया है। इस मामले में वह भारत से बहुत पीछे है। लेकिन इस समय अमेरिका में इस रूढ़िवादी छवि को बदलने की आवाज उठने लगी है।
अमेरिका में सवा दो सौ वर्ष के संवैधानिक इतिहास में किसी महिला के राष्ट्रपति बनने की बात दूर, प्रमुख पार्टियों ने उन्हें अपना उम्मीदवार तक नहीं बनाया है। इस मामले में वह भारत से बहुत पीछे है। लेकिन इस समय अमेरिका में इस रूढ़िवादी छवि को बदलने की आवाज उठने लगी है।
वहां कोई महिला राष्ट्रपति बनेगी या नहीं, यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा। लेकिन पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पत्नी और पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन की दावेदारी को इस बार गंभीर माना जा रहा है। वहां राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के लिए पहले दोनों पार्टियों के अलग-अलग सम्मेलनों के कई चरण होते हैं। इन चुनावों में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाता है। इसके बाद ही राष्ट्रपति पद का चुनाव होता है।
वहां अगले वर्ष चुनाव होना है। प्रत्याशी तय होने की प्रक्रिया अभी से शुरू हो गई है। रिपब्लिक पार्टी में जेब बुश, डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय मूल के बॉबी जिंदल के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। बॉबी जिंदल इस दौड़ में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। फिर भी अंतिम निर्णय देखने के लिए इंतजार करना होगा।
जेब बुश और डोनाल्ड टंज्प ने जिंदल को कमजोर करने के लिए अमेरिका में प्रवासियों पर नियंत्रण हेतु नए कानून की पैरवी की है। इसे रिपब्लिकन पार्टी का आन्तरिक मामला माना जा रहा था।
लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी की हिलेरी ने रिपब्लिकन के इस मुद्दे को लपक लिया। डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी का मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। इसका प्रमुख कारण है कि पहली बार किसी महिला ने अमेरिका में पहली बार इतनी मजबूत दावेदारी पेश की है।
हिलेरी दोहरी रणनीति पर एक साथ अमल कर रही हैं। एक तो वह अपनी पार्टी में बढ़त बनाए रखने का पुरजोर प्रयास कर रही हैं, वहीं रिपब्लिकन पार्टी के अभियान को कमजोर बना रही हैं। इस रणनीति के तहत वह खासतौर पर जेब बुश और डोनाल्ड ट्रंप द्वारा उठाए गए मुद्दों पर हमला कर रही हैं।
रिपब्लिकन नेताओं ने ईरान के साथ हुए समझौते का विरोध किया। हिलेरी ने इसे लेकर उन पर हमला बोल दिया। कहा, ये समझौता वैश्विक शांति के लिए आवश्यक था। रिपब्लिकन नेताओं ने बाहर से आकर अमेरिका में बसने वालों पर नियंत्रण की मांग की। कहा कि कमजोर पड़ गए आब्रजन कानून को दुरुस्त करने के लिए रूढ़िवादी तरीका अपनाना होगा।
हिलेरी ने इस पर भी हमला बोला। पूरा अमेरिका ही प्रवासियों के कारण आबाद है। जाहिर है, वह एक तरफ रिपब्लिकन पर हमला बोल रही है। दूसरी तरफ अपनी पार्टी में बढ़त बना रही है। (आईएएनएस/आईपीएन)
(ये लेखक के निजी विचार हैं)