चेन्नई, 10 सितम्बर (आईएएनएस)। ब्राजील की मेजबानी में खेले जा रहे पैरालम्पिक खेलों में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने वाले मरियप्पन थांगावेलु का व्यवहार से तो काफी शर्मीले हैं लेकिन वह अभ्यास के समय काफी संजीदा और अनुशासन पसंद इंसान हैं।
पैरालम्पिक की टी-42 श्रेणी (दाहिना घुटने से अपंग) में ऊंची कूद का स्वर्ण पदक जीतने वाले मरियप्पन के कोच ने उनकी तारीफ करते हुए यह बात कही।
मरियप्पन ने 1.89 मीटर ऊंची कूद लगाई और सोने का तमगा हासिल किया। जिसके बाद तमिलनाडु के सलेम जिले के पेरियावाडाहमपट्टी गांव विश्व के नक्शे पर छा गया। मरियप्पन इसी गांव से आते हैं।
इस सफलता से उम्मीद है कि मरियप्पन का परिवार गरीबी के अंधियारे को पीछे छोड़ देगा। उनके परिवार में दो छोटे भाई और एक बड़ी बहन हैं। उनकी मां सरोजा प्रतिदिन काम कर परिवार का खर्च चलाती हैं।
उनका परिवार टीवी पर अपने बेटे की स्वार्णिम कूद देख रहा था और जैसे ही मरियप्पन ने स्वर्ण पदक तय किया वैसे ही उनका परिवार भी जश्न में डूब गया।
अपने बेटे की सफलता से गौरवान्वित सरोजा ने उन सभी लोगों का शुक्रिया अदा किया है जिन्होंने उनके बेटे का साथ दिया।
मरियप्पन की सफलता पर प्रदेश की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने उन्हें दो करोड़ रूपये का नकद ईनाम देने की घोषणा की है।
मरियप्पन के दोस्त श्रीनिवासन ने आईएएनएस को बताया, “वह हमेशा यह कहता था कि वह अपाहिज होने के बाद भी जीवन में जरूर कुछ बड़ा हासिल करेगा। वह हर खेल में हिस्सा लेता था।”
बीबीए तक शिक्षा हासिल करने वाले मरियप्पन को अभी भी अच्छी नौकरी का इंतजार है।
पांच साल की उम्र में घर से बाहर खेलते हुए वह बस के नीचे आ गए थे, जिसमें उनका दाहिना घुटना बुरी तरह कुचल गया।
मरियप्पन ने सलेम से 350 किलोमीटर दूर तमिलनाडु के साई खेल प्राधिकरण (एसडीएटी) केंद्र में कोच के. इलामपारिथी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण हासिल किया।
इलामपारिथी ने कहा, “वह स्कूल और विश्वविद्यालय स्तर पर खेलों में हिस्सा लेता रहा और जीतता रहा। मैंने उसकी कूदने की शैली को फिंसबरी फ्लोप से बैली रोल में बदला। इसके बाद उसके प्रदर्शन में काफी सुधार आया।
कोच ने कहा, “पिछले मुकाबलों में ऊंची कूद के खिलाड़ियों द्वारा तय की गई ऊंचाई को देखते हुए हम मरियप्पन के पदक जीतने को लेकर आश्वस्त थे। स्थानीय स्पर्धाओं में वह दो मीटर तक पहुंच रहा था।”
मरियप्पन के अभ्यास पर उनके कोच ने कहा, “वह समय का पाबंद और काफी अनुशासित है। पारिवारिक समस्याओं के वाबजूद वह अभ्यास में हमेशा समय पर मौजूद रहता था।”
कोच के मुताबिक मरियप्पन काफी शर्मिले हैं और ज्यादा बात नहीं करते।
कोच को उम्मीद है कि मरियप्पन की इस सफलता से उनके जीवन में स्थिरता आएगी और सरकार उन्हें स्थायी नौकरी प्रदान करेगी।