तिरुवनंतपुरम, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। केरल के उद्योग मंत्री ई.पी. जयराजन ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन पर अपने दो संबंधियों को राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में नियुक्त करने का आरोप है।
माकपा के राज्य सचिव कोदियेरी बालकृष्णन ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जयराजन ने खुद पद छोड़ने का फैसला किया।
बालकृष्णन ने मीडिया से कहा, “उन्होंने सचिवालय की बैठक में अपनी गलती के लिए इस्तीफे की इजाजत मांगी। वह पार्टी और सरकार की छवि के प्रति सर्तक हैं।”
बालकृष्णन ने कहा, “उन्होंने इस्तीफा देने के लिए अनुमति मांगी और इस्तीफा दे दिया।”
जयराजन के रिश्तेदारों की नियुक्ति की खबर 10 दिन पहले सामने आई थी। इससे चार महीने पहले सत्ता में आई वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार पर आलोचनाओं की बौछार शुरू हो गई।
कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ और भाजपा ने सर्तकता विभाग से संपर्क कर मामले की जांच करने और मंत्री को हटाने की मांग की।
जयराजन, मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के करीबी सहयोगियों में से हैं और सरकार में नंबर दो की हैसियत रखते थे। वह केरल माकपा के शक्तिशाली नेताओं में से हैं।
माकपा सूत्रों के अनुसार, जयराजन ने 14 सदस्यीय सचिवालय की बैठक में मामले पर अपना पक्ष रखा।
लेकिन विजयन किसी तरह की ढील देने के पक्ष में नहीं थे। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने भी जयराजन की गलती को गंभीरता से लिया है।
विवाद में आए दो संबंधियों में से एक पी. के. सुधीर हैं, जो माकपा लोकसभा सदस्य पी. के. श्रीमैथी के बेटे हैं और जयराजन के भतीजे हैं। दूसरा नाम मंत्री की भतीजी दीप्ति निषाद का है।
सुधीर को केरल स्टेट इंडस्ट्रियल एंटरप्राइजेज लिमिटेड का प्रबंध निदेशक नियुक्ति किया गया था और दीप्ति को केरल क्ले एंड सिरेमिक्स लिमिटेड का महाप्रबंधक बनाया गया था। इन दोनों के पास इन पदों के लिए योग्यता और अनुभव नहीं था।
मीडिया में बड़ी चर्चा के बाद इन्होंने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया।
बालकृष्णन ने कहा, “हमने साबित कर दिया कि हम ही एक पार्टी हैं, जो राजनीति में मूल्यों को रखते हैं और हम दूसरों से अलग हैं।”
उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती ओमन चांडी सरकार के कई मंत्री कई आरोपों में बुरी तरह फंसे थे। भाजपा की वसुंधरा राजे सिंधिया (राजस्थान सरकार) ने कई आरोपों के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया।