नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। विदेशी कंपनियों और उनके लेनदेन को लेकर कराधान में स्पष्टता लाने के लिए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल (गार) कराधान की खामियों की पहचान करेगा और वास्तविक करदाता की पहचान करेगा और इसे 2017-18 से लागू किया जाएगा।
नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। विदेशी कंपनियों और उनके लेनदेन को लेकर कराधान में स्पष्टता लाने के लिए सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल (गार) कराधान की खामियों की पहचान करेगा और वास्तविक करदाता की पहचान करेगा और इसे 2017-18 से लागू किया जाएगा।
आधिकारिक बयान में बताया गया, “हितधारकों और उद्योग संघों ने गार प्रावधानों के कार्यान्वयन पर स्पष्टीकरण के लिए अनुरोध किया था तथा उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को जांचने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा एक कार्यसमिति का गठन किया था। तदनुसार आज सीबीडीटी ने गार प्रावधानों के कार्यान्वयन पर स्पष्टीकरण जारी किया है।”
यह भारत के उस वादे के अनुरूप है कि वह रेट्रोस्पेक्टिव प्रभाव (पूर्वव्यापी) से कोई अतिरिक्त शुल्क या कर लागू नहीं करेगा। साथ ही इस साल 1 अप्रैल से पहले किए गए निवेश पर यह लागू नहीं होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुए लोकसभा को सूचित किया था कि गार को अगले दो साल में लागू कर दिया जाएगा।
गार का प्रस्ताव पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने वित्त वर्ष 2012-13 का बजट पेश करते हुए दिया था, जो मॉरीशस, लक्जमबर्ग और स्विट्जरलैंड जैसे टैक्स हैवेन्स के माध्यम से निवेश को कर चोरों से बचाता है।
वित्त मंत्रालय ने इससे पहले कहा था कि वह अप्रैल 2014 से गार को लागू करेगी।
दूरसंचार कंपनी वोडाफोन ने वोडाफोन मॉरीशस की मदद से एस्सार समूह की दूरसंचार कंपनी का अधिग्रहण किया था, जिसमें मॉरीशस से संधि के कारण भारत सरकार को कर नहीं चुकाया गया था। इसके बाद सरकार ने वोडाफोन पर रेट्रोस्पेक्टिव कैपिटल गेन को लेकर 20,000 करोड़ रुपये का कर लगाया था।
गार का प्रस्ताव इसके बाद पहली बार साल 2010 में दिया गया ताकि कंपनियां जानबूझकर घुमा-फिराकर निवेश पर कर चोरी न कर पाएं।