भोपाल, 24 अप्रैल (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के खिलाफ जल सत्याग्रह 14वें दिन भी जारी रहा। आंदोलनकारी मांगे पूरी हुए बगैर जल सत्याग्रह खत्म करने को तैयार नहीं है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस आंदोलन को विकास विरोधी करार दिया है।
नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 मीटर किए जाने से खंडवा जिले के कुछ गांव की जमीन डूब में आ गई है। इसी के विरोध में 11 अप्रैल से घोगलगांव में ग्रामीण और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कायकर्ता जल सत्याग्रह कर रहे हैं। इन सत्याग्रहियों की हालत बिगड़ रही है।
सत्याग्रहियों के प्रतिनिधियों से गुरुवार को नर्मदा घाटी विकास राज्यमंत्री लाल सिंह आर्य ने चर्चा की थी, मगर बात नहीं बनी और आंदोलन जारी है। एक तरफ जहां सरकार की ओर से बातचीत की पहल की गई वहीं शुक्रवार को मुख्यमंत्री चौहान ने इस आंदोलन को ही विकास विरोधी करार दे दिया है।
मुख्यमंत्री चौहान ने बड़वानी जिले के दवाना गांव में जनसभा में कहा कि विकास विरोधी तत्वों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। ओंकारेश्वर एवं इंदिरा सागर परियोजना के जल को निमाड क्षेत्र के हर गांव- खेत तक पहुंचाया जाएगा। किसानों की न्यूनतम आमदनी सुनिश्चित करने वाली नई योजना बनाने पर विचार किया जा रहा है। यह भी प्रयास किए जाएंगे कि 1000 करोड़ रुपये का किसान कल्याण कोष बने। इस संबंध में 15-16 जून को भोपाल में कार्यशाला होगी।
उन्होंने कहा कि इंदिरा सागर एवं ओंकारेश्वर बांध परियोजना का पानी निमाड़ के हर खेत तक पहुंचाया जाएगा। निमाड़ के किसानों को अगर सिंचाई के लिए पानी मिल जाए तो वह पंजाब के किसानों से पीछे नहीं रहेंगे।
मुख्यमंत्री के बयान पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के वरिष्ठ सदस्य और आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक अलोक अग्रवाल ने कहा है कि चौहान का यह बयान किसान विरोधी है। उनका आंदोलन मांगे पूरी होने तक जारी रहेगा।