खंडवा, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। अब तक अपने आंदोलन और विरोध के कई रूप देखे और सुने होंगे, मगर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से खेत डूबने का एक किसान ने अनोखे तरीके से विरोध किया है। सोहन लाल पटेल नामक किसान ने सरकार के फैसले के खिलाफ अपने एकलौते बेटे की शादी रोकने का फैसला लिया। शादी 27 अप्रैल को ही होने वाली थी।
खंडवा, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। अब तक अपने आंदोलन और विरोध के कई रूप देखे और सुने होंगे, मगर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से खेत डूबने का एक किसान ने अनोखे तरीके से विरोध किया है। सोहन लाल पटेल नामक किसान ने सरकार के फैसले के खिलाफ अपने एकलौते बेटे की शादी रोकने का फैसला लिया। शादी 27 अप्रैल को ही होने वाली थी।
राज्य सरकार ने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 189 मीटर से बढ़ाकर 191 मीटर कर दिया है। बांध का जलस्तर बढ़ने से घोगलगांव सहित आधा दर्जन गांवों की खेती की जमीन के डूबने का खतरा मंडरा रहा है, वही बांध का पानी खेतों तक पहुंच रहा है और बड़ी मात्रा में खेती की जमीन डूब भी चली हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ ग्रामीण और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता 17 दिन से पानी में रहकर जल सत्याग्रह कर रहे हैं।
जल सत्याग्रह कर रहे किसानों के पैरों की खाल में गलन साफ नजर आ रही है, वहीं खून का रिसाव भी लगातार हो रहा है। अब तो जलीय जंतु भी उनकी खाल व खून को अपना निवाला बना रहे हैं। सत्याग्रही पुनर्वास नीति और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित मुआवजा दिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं।
नर्मदा नदी के पानी में बैठकर जल सत्याग्रह कर रहे सोहन लाल पटेल की पूरी जमीन ही बांध के पानी में डूब गई है। पटेल ने आईएएनएस को बताया कि उनकी लगभग पौने दो एकड़ जमीन है, इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार आई। मगर वे फसल भी नहीं काट पाए थे कि बांध का पानी आने लगा। उन्होंने किसी तरह फसल की कटाई कराई, मगर भूसा खेत में ही रह गया जो बांध के पानी में डूब गया। समस्या यह है कि अब मवेशियों को क्या खिलाएं।
सोहन कहते हैं कि अब उनके पास जीवन जीने को कोई सहारा नहीं बचा है, लिहाजा वे जल सत्याग्रह कर रहे हैं, ताकि उनकी जान भी नर्मदा मैया की गोद में निकल जाए। सोहन ने अपने इकलौते बेटे गोलू की शादी गांव के ही भोलू पटेल की बेटी से तय की थी, यह शादी सोमवार 27 अप्रैल केा होने वाली थी, मगर उन्होंने इसे स्थगित कर दिया है।
वे सवाल करते हैं कि जब उनके पास खाने को कुछ नहीं होगा तो बेटा और बहू का सुखमय जीवन कैसे चलेगा, लिहाजा उनके बेटे गोलू ने भी शादी टालने पर हामी भर दी। लड़की का पिता भी राजी हो गया है।
सोहन की आंखों में उदासी छाई है, और रह-रह कर आंसुओं से भर जाती हैं। उन्हें अपने बेटे की नई दुनिया न संवार पाने का मलाल है। वे कहते हैं, “सरकार का काम सबका कल्याण करना होता है, मगर इस सरकार ने हमारी बसी बसाई दुनिया ही उजाड1 दी है। पानी में खेत डूब गए हैं और अब तो जिंदगी पर ही संकट आ गया है।”
सोहन कहते हैं, “हम विकास विरोधी नहीं हैं, हम चाहते हैं कि दूसरे खेतों को सिंचाई के लिए पानी मिले, मगर एक को बर्बाद कर दूसरे को आबाद किया जाना प्राकृति के सिद्धांत के खिलाफ है। सरकार हमें जमीन के बदले जमीन दे दे, मुआवजा दे दे, हम तो कहीं और बस जाएंगे, मगर सरकार का रवैया सिर्फ हमें बर्बाद करने का नजर आ रहा है।”
वहीं दूसरी ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि वे बांध के जलस्तर को कम नहीं करेंगे, किसानों को मुआवजा सरकार दे रही है, मगर कुछ लोग इन्हें भ्रमित कर रहे हैं। उनका दावा है कि जलस्तर बढ़ाने की वजह से नहरों से निमाड अंचल तक पानी पहुंचेगा और सिंचाई क्षमता बढ़ेगी।
सनातन मान्यता है कि नर्मदा नदी जीवन दायनी है, मगर खंडवा जिले के एक वर्ग के लिए जीवनदायनी नर्मदा का जल संकटकारी बन गया है, मगर मुसीबतों से घिरे लोगों को अब भी आस है कि नर्मदा मैया उनका जीवन बचाने में मददगार होंगी।