जिले में चल रहे 17 संस्कृत विद्यालयों में हर साल ढाई से तीन हजार विद्यार्थी पढ़ कर निकलते हैं। इन विद्यालयों में भवन के साथ अन्य सुविधाएं तो हैं, लेकिन शिक्षकों की कमी है। संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के 91 पदों के सापेक्ष 41 शिक्षक ही कार्यरत है।
एक विद्यालय में तो कोई शिक्षक ही नहीं है, जबकि कोई भी ऐसा स्कूल नहीं है, जिसमें शिक्षकों के दो-चार पद खाली न हों। भारतीय संस्कृत माध्यमिक स्कूल बरैची में शिक्षकों के दो पद खाली हैं, जबकि भगवत मंडल संस्कृत माध्यमिक विद्यालय धाता में तीन, फाल्गुलगिरि संस्कृत माध्यमिक स्कूल किशनपुर तीन, ऋषिकुल ब्रम्हाचर्याश्रम संस्कृत माध्यमिक स्कूल देवरी में शिक्षकों के तीन पद खाली है। बालक गिरि संस्कृत माध्यमिक स्कूल राईपुर में तो कोई शिक्षक ही नहीं है।
बालपुरी संस्कृत माध्यमिक स्कूल हथगाम में दो, ब्रह्म संस्कृत माध्यमिक स्कूल स्वामी बाग गनही में एक, ब्रह्मेश्वर संस्कृत माध्यमिक विद्यालय नौबस्ता, बैगांव में एक, मुनिकुल संस्कृत माध्यमिक स्कूल में बारा में दो, विद्याभूषण संस्कृत स्कूल अमौली में दो, पगलेश्वर संस्कृत माध्यमिक स्कूल करेरा में तीन रमा बिहारी संस्कृत माध्यमिक स्कूल जोनिहा में दो, राम संस्कृत माध्यमिक स्कूल मंडासराय में एक, मरतड संस्कृत माध्यमिक स्कूल बिन्दकी में तीन, आदर्श श्रीकंठ संस्कृत माध्यमिक स्कूल कांेडार में पांच, आनंद संस्कृत माध्यमिक स्कूल बेला मवई में सात तथा नारायण नागा आदर्श संस्कृत महाविद्यालय ज्वालागंज में शिक्षकों के सात पद खाली हैं।
शासन ने जिले के संस्कृत स्कूलों में शिक्षकों के खाली पद भरने के लिये प्रक्रिया शुरू कर दी है। शासन के निर्देश पर डीआईओएस ने सभी संस्कृत स्कूलों से शिक्षकों के खाली पद का ब्योरा मांगा है।