नई दिल्ली, 14 मई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को मानहानि के मामलों को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर दोहरा मानदंड अपनाने का आरोप लगाया और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के इससे संबंधित परिपत्र पर स्थगनादेश दिया।
केजरीवाल ने अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि प्रक्रिया पर अदालत से स्थगनादेश की मांग की है, जबकि मीडिया समूह पर मानहानि संबधी खबर प्रकाशित करने की स्थिति में कार्रवाई करने संबंधी परिपत्र जारी किया है।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत की पीठ ने कहा, “क्या आपको नहीं लगता कि अपने खिलाफ मानहानि से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 499 एवं धारा 500 को चुनौती देने और खुद मीडिया समूह पर मानहानि से संबंधित खबरें प्रकाशित करने पर कार्रवाई करने संबंधी परिपत्र जारी किए जाने के बीच विरोधाभास है?”
न्यायालय ने यह बात अमित सिब्बल की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें केजरीवाल के खिलाफ मानहानि संबंधी मामले पर कार्यवाही पर लगी रोक हटाने की मांग की गई है।
केजरीवाल एवं अन्य आप नेताओं ने आरोप लगाया था कि पूर्व दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और उनके बेटे अमित के बीच जिम्मेदारियों को लेकर हितों में टकराव है। आरोप उस समय लगाया गया था, जब अमित टेलीफोन संचालकों की तरफ से न्यायालय में वकालत कर रहे थे और कपिल दूरसंचार मंत्री थे।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा ने स्थगनादेश को अस्वीकार करते हुए कहा, “हम मानहानि प्रक्रिया पर स्थगन में छूट नहीं दे रहे, लेकिन सरकार के परिपत्र पर स्थगनादेश जारी कर रहे हैं।”
केजरीवाल सरकार ने छह मई को एक परिपत्र जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी को मीडिया संस्थान द्वारा प्रकाशित या प्रसारित खबर से परेशानी हो, तो वह यह मामला दिल्ली गृह विभाग के समक्ष रख सकता है, जिसके बाद गृह विभाग विधि विभाग से परामर्श कर अभियोजन की मंजूरी दे सकता है और मानहानि का मुकदमा कर सकता है।
केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा 15 मई 2013 को एक संवाददाता सम्मेलन में उनके द्वारा कहे शब्दों के लिए किया गया है, जिसमें उन्होंने हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए कहा था कि अमित सिब्बल ने वोडाफोन की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की थी और वह भी उस समय, जब उनके पिता दूरसंचार मंत्री थे।