कुआलालंपुर, 4 नवंबर (आईएएनएस)। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा बुधवार को कहा कि भारत को उम्मीद है कि दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में विवाद वाले सभी पक्ष 2002 की घोषणा का अनुपालन करेंगे और इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के साथ ही विवादों का शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे।
पर्रिकर ने यहां बुधवार को आयोजित आसियान के रक्षा मंत्रियों की तीसरी बैठक (एडीएमएम-प्लस) को संबोधित करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा फिर से एक आम चुनौती बन गई है। हमारे क्षेत्र में समुद्र और महासागर हमारी समृद्धि के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
उन्होंने कहा, “दक्षिण चीन सागर और हाल की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति ने हमारी चिंताओं और हितों के बारे में हमारा ध्यान आकर्षित किया है। यह स्वाभाविक है, क्योंकि समुद्र के कानून पर 1982 में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून के मान्यता प्राप्त सिद्धांतों के अनुसार संसाधनों के उपयोग के अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय जल सीमा में नौवहन की स्वतंत्रता, मार्ग और ओवरफ्लाइट का अधिकार, बेरोकटोक व्यापार और संसाधनों तक पहुंच हम सब के लिए चिंता के विषय हैं।”
उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि दक्षिण चीन सागर के बारे में आम सहमति से आचारसंहिता का जल्द ही निष्कर्ष निकाल लिया जाएगा।
पर्रिकर ने कहा, “भारत को उम्मीद है कि दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में विवाद वाले सभी पक्ष दक्षिण चीन सागर में पक्षों के आचरण के बारे में 2002 की घोषणा का अनुपालन करेंगे और इसका प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के साथ-साथ विवादों का शांतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर कार्य करेंगे। हमारी यह भी उम्मीद है कि भारत दक्षिण चीन सागर में आम सहमति से आचारसंहिता का जल्द निष्कर्ष निकल जाएगा।”