विश्व बैंक के भारत प्रमुख श्री ओनो रूहल ने लिया सार्थक बदलाव का जायजा
मध्यप्रदेश में जिला गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम (डीपीआईपी) के द्वितीय चरण की सफलता से दुनिया के कई देशों ने प्रेरणा ली है। इस मक़सद से विश्व बैंक की पहल पर पिछले वर्षों में वियतनाम, लाओस और नेपाल से आये प्रतिनिधि-मण्डलों ने प्रदेश के विभिन्न जिलों का भ्रमण किया है। उन्होंने डीपीआईपी के बेहतर अमल से सुदूर अँचलों के गरीब ग्रामीणों के जीवन में आयी समृद्धि और आर्थिक बदलाव को रू-ब-रू देखा है। इसी परिप्रेक्ष्य में विश्व बैंक के वाशिंगटन, अमेरिका स्थित मुख्यालय से विगत जून, 2011 में प्रबंध संचालक सुश्री नागजी ओकोंजो इविएला ने तथा नवम्बर, 2011 में प्रबंध संचालक मेहमूद मोहीउद्दीन ने भी डीपीआईपी के जरिये गरीब ग्रामीणों के जीवन को बेहतर बनाने के कार्यों का जायजा लिया था और सराहना की। मध्यप्रदेश में डीपीआईपी के द्वितीय चरण के क्रियान्वयन के लिये विश्व बैंक के जरिये 110 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता मुहैया हुई है। इसमें राज्य सरकार का 10 मिलियन डॉलर का अंश-दान शामिल है।
विश्व बैंक के भारत स्थित कंट्री डायरेक्टर श्री ओनो रूहल ने कल रायसेन जिले के गैरतगंज विकासखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण कर डीपीआईपी के जरिये संचालित आजीविका गतिविधियों का जायजा लिया और परियोजना के सफल प्रयासों की सराहना की। श्री रूहल ग्राम इमलिया में विभिन्न स्व-सहायता समूहों की महिला सदस्यों से रू-ब-रू हुए। उन्होंने डीपीआईपी के जरिये उन्हें उपलब्ध आर्थिक सहायता तथा उनके जीवन में आये बदलाव के बारे में बातचीत की। श्री रूहल ने महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित विभिन्न सामग्री की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। डीपीआईपी के जरिये स्व-सहायता समूहों की सदस्य इन महिलाओं ने संगठित होकर आत्म-निर्भरता की ओर सफलता पूर्वक कदम बढ़ाये हैं और वे अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों में सशक्त भागीदारी निभा रही हैं। अपने घरों की चौखट से बाहर आकर ये महिलाएँ विभिन्न आजीविका गतिविधि का बेहतर संचालन करना सीख चुकी हैं। इनकी मासिक आमदनी में औसतन 2 से 3 हजार तक का इजाफा हुआ है। इससे उनके परिवार का जीवन-स्तर बेहतर होने के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा-दीक्षा में मदद मिली है।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विश्व बैंक प्रमुख श्री ओनो रूहल ने 13 स्व-सहायता समूहों को आईसीआईसीआई बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया की ओर से करीब 10 लाख रुपये राशि के बैंक लिंकेज संबंधी स्वीकृति-पत्र मौके पर ही प्रदान किये। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हितग्राही महिलाओं ने अपने जीवन में आये सुखद बदलाव के अनुभवों को साझा किया। इस दौरान विश्व बैंक के दक्षिण एशिया की ग्रामीण विकास एवं आजीविका सेक्टर मैनेजर श्रीमती शोभा शेट्टी, विश्व बैंक की प्रतिनिधि सुश्री जिल आर्मस्ट्रांग, टास्क मैनेजर श्री केविन क्रॉक फोर्ड और डीपीआईपी के परियोजना समन्वयक श्री एल.एम. बेलवाल मौजूद थे।
उल्लेखनीय है कि डीपीआईपी का द्वितीय चरण प्रदेश में विगत नवम्बर, 2009 से आरंभ हुआ है। डीपीआईपी के जरिये प्रदेश के 14 जिलों के 53 विकासखण्ड के 4,800 गाँव में आजीविका गतिविधियाँ संचालित हैं। परियोजना के अंतर्गत 29 हजार 670 स्व-सहायता समूह गठित है। आजीविका गतिविधियों के संवर्द्धन के लिये 300 करोड़ रुपये का अनुदान मुहैया करवाया गया है। डीपीआईपी के अंतर्गत गरीब महिलाओं के स्व-सहायता समूहों का गठन कर विभिन्न बैंकों के जरिये समूहों को आर्थिक सहायता मुहैया करवाई जा रही है।