भोपाल– मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कायदे सुशासन के रूप में बना दिए हैं ,उनके ख़ास सिपहसालार गृह मंत्री हैं लेकिन सुशासन का जज्बा लिए मुख्यमंत्री की आशाओं पर अधिकारी पलीता लगा रहे हैं .हम आज पार्किंग से अलग खड़ी दो -पहिया वाहनों से पुलिस कर्मिओं द्वारा शासन को चूना लगा कर अपनी जेब भरने का खुलासा कर रहे हैं.
स्थान– पुलिस अधीक्षक (साऊथ) के कार्यालय का प्रांगण.
समय-दोपहर 11 से 4 बजे तक.
जब्त दोपहिया वाहन -30.
पैसे ले कर छोड़ दिए वाहन-25
रात ग्यारह बजे तक इस हिसाब से 80 वाहन उठाये जाते हैं जो पार्किंग में नहीं खड़े होते और जब्ती पांच या सात वाहनों की दिखाई जाती है.70 वाहनों की कुल अवैध वसूली 7000 रुपयेप्रति दिन और महीने में दो लाख दस हजार एक ट्रैफिक क्रेन द्वारा कमाई अधिकारियों की जेब में जाती है .कुछ पैसे वहां कार्यरत लड़कों को दिए जाते हैं.
पूरे भोपाल की कमाई का अंदाजा लगाना कठिन नहीं होगा.ये ट्रैफिक क्रेन एक हवलदार ,एक ड्राईवर एवं 2 लड़कों को ले इस कारगुजारी को अंजाम देती हैं.क्या आला अधिकारियों को यह पता नहीं है ?ख़ास बात यह की यह कमाई कैश में होती है कैशलेस नहीं.
इन दो पहिया वाहनों की कोई एंट्री नहीं होती बस एक युवक वहां खड़ा रहता है जो पैसे ले और कागज़ देख गाडी मालिक को वहां सौंप देत़ा है.पुलिस के इन कर्मचारियों की दिन भर की मेहनत अपनी तनख्वाह के लिए नहीं होती अपितु इस अवैध कमाई को अंजाम देने के लिए होती है.आला अधिकारीयों की नाक के नीचे किये जा रहे इन कार्यों से क्या सुशासन आएगा ?