चेन्नई, 27 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा कि उसने भारत के एस्ट्रसैट सहित सात उपग्रहों को ले जाने वाले रॉकेट के प्रक्षेपण की 50 घंटे पूर्व उल्टी गिनती शुरू कर दी है। एस्ट्रसैट की मदद से ब्रहंड को समझने में मदद मिलेगी।
इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने श्रीहरिकोटा से टेलीफोन पर आईएएनएस से कहा, “बिना किसी बाधा के उल्टी गिनती जारी है। रॉकेट में द्वितीय चरण (इंजन) का ईंधन डालने का काम शुरू हो चुका है, जो देर रविवार तक पूरा हो जाएगा। रॉकेट पूर्वाह्न 10 बजे रवाना हो जाएगा।”
सोमवार सुबह प्रक्षेपित होने वाला यह रॉकेट अपने साथ 1,513 किलोग्राम वजनी 180 करोड़ रुपये की लागत वाले भारतीय एस्ट्रोसैट उपग्रह के अलावा अमेरिका के चार और इंडोनेशिया तथा कनाडा के एक-एक उपग्रहों को ले जाएगा। एस्ट्रोसैट को पृथ्वी से 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
28 सितंबर को रॉकेट के साथ छोड़े जाने वाले उपग्रहों में देश का पहला बहु-तरंगदैर्ध्य वाला अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह ‘एस्ट्रोसैट’ भी शामिल है, जो ब्रह्मांड के बारे में अहम जानकारियां प्रदान करेगा।
सोमवार को छह विदेशी उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के साथ ही भारत अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में 50 वर्ष पूरा कर लेगा।
भारत अब तक शुल्क लेकर 45 विदेशी उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण कर चुका है।
इसरो के मुताबिक, पीएसएलवी के प्रक्षेपण के लिए शनिवार की सुबह आठ बजे उल्टी गिनती शुरू की गई।
सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह रॉकेट सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण स्थल से सुबह 10.0 बजे उड़ान भरेगा।
इसरो ने 2010 में एक साथ 10 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया था, जिसमें भारत के दो काटरेसैट-2ए उपग्रह भी शामिल थे।
सोमवार को भारत तीसरी बार एक साथ सात उपग्रहों का प्रक्षेपण करेगा।
इसरो की मिशन रेडीनेस कमिटी और लांच ऑथोराइजेशन बोर्ड ने गुरुवार को 50 घंटे पूर्व उल्टी गिनती शुरू किए जाने को मंजूरी दे दी थी।
सात उपग्रहों को ले जाने वाला यह चार स्तरीय पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी है।
उल्टी गिनती के दौरान ईंधन भरे जाने के अलावा सारे सिस्टम की जांच और पुनर्जाच की जाएगी।
रॉकेट के साथ लांच किए जाने वाले सातों उपग्रहों का कुल वजन 1,631 किलोग्राम है।
उड़ान भरने के 22 मिनट बाद रॉकेट धरती की सतह से 650 किलोमीटर की ऊंचाई पर एस्ट्रोसैट को उसकी कक्षा में स्थापित कर देगा।
इसके कुछ ही मिनट के अंतराल पर शेष छह उपग्रह भी अपनी-अपनी कक्षा में स्थापित कर दिए जाएंगे। इस अभियान में कुल 25 मिनट का समय लगेगा।