रायपुर, 15 सितंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के तृतीय दिन मनाए जाने वाले तीजा पर्व का विशेष महत्व है। पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें इस व्रत को रखती हैं। प्राय: यह व्रत निर्जला ही रखा जाता है। व्रत की खासियत इसके ठीक एक दिन पहले खाए जाने वाले ‘करू भात’ को लेकर भी है।
रायपुर, 15 सितंबर (आईएएनएस/वीएनएस)। छत्तीसगढ़ में भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के तृतीय दिन मनाए जाने वाले तीजा पर्व का विशेष महत्व है। पति की लंबी आयु के लिए सुहागिनें इस व्रत को रखती हैं। प्राय: यह व्रत निर्जला ही रखा जाता है। व्रत की खासियत इसके ठीक एक दिन पहले खाए जाने वाले ‘करू भात’ को लेकर भी है।
इस दिन महिलाएं करेले की सब्जी और चावल (भात) खाकर इस व्रत को रखती हैं। दूसरे दिन पूरा 24 घंटे का व्रत रखा जाता है। छग में तीजा कल का व्रत कल बुधवार, 16 सितंबर को है। इसे देखते हुए बसों और ट्रेनों में तिजहारिनें की भीड़ देखी जा रही है। वहीं बाजारों में काफी भीड़ देखी जा रही है। छग के कई जिलों में अभी बच्चों तिमाही परीक्षाओं ने जरूर कुछ परेशानियां खड़ी कर दी हैं। तीजा पर्व पर बनने वाले पकवानों में छग की परंपराओं का खास समावेश रहता है। इस दिन घरों-घर ठेठरी, खुरमी और खाजा की खूशबू हर घर में बिखरी हुई है।
महासमुंद से धमतरी तीजा मनाने जा रही है अनिता सिंह ने बताया कि साल में एक बार तीजा पर्व पर मायके जाने का सौभाग्य मिलता है। यह पर्व महिलाएं अपने मायके में ही मनाती हैं। विशेष स्थिति में ससुराल में भी मनाया जा सकता है। उनका कहना है कि भाई या पिताजी इस पर्व पर अपने बेटियों को लाने ससुराल आते हैं। पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत किया जाता है। कुछ ऐसा ही कहना था खुशबू, सुनीता, लक्ष्मी, अगनी बाई जैसी अन्य महिलाओं का भी।
उपवास से पहले के करू भात खाए जाने को लेकर महिलाओं ने बताया कि करू भात खाने की परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है। तीजा व्रत के पहले प्राय: हर घर में करेले की सब्जी और चावल (भात) खाकर ही इस व्रत को किया जाता है। तीजा पर्व पर बनने वाले पकवान पर इनका कहना था कि आजकल तो रेडीमेड का जमाना है। लेकिन घर के बनाए गए ठेठरी, खुरमी और अइरसा की बात ही अलग होती है। घर पर उपलब्ध आटा, गुड़ या शक्कर, बेसन से ही शुद्ध रूप से ये पकवान बनाए जाते हैं।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और पंडित आनंद तिवारी ने कहा कि सुहागिनें अपने विवाहित जीवन को सुखमय बनाने माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करती हैं। व्रत के एक दिन पहले करू भात खाने की परंपरा है। इसे हरतालिका तीज भी कहा जाता है। इस दिन माता-पिता अपने बेटियों को शादी के बाद तीजा के लिए मायके अवश्य बुलाते हैं।
तिवारी का कहना है कि इसी दिन भगवान शंकर को पति के रूप में पाने माता पार्वती ने दिन-रात बिना कुछ खाए-पीए कठोर तपस्या की थी। इसी मान्यता के चलते महिलाएं तीजा व्रत रखती हैं।
सुंदरनगर निवासी गायत्री तिवारी व डंगनिया अनिता का कहना है कि तीजा और पोला पर्व पर बनाए जाने वाले ठेठरी-खुरमी पकवान का खास महत्व है। इस दिन घरों-घर ये बनाया जाता है। घर पर बनाए जाने वाले ठेठरी, खुरमी और अइरसा की बात ही अलग होती है। वहीं तीजा का उपवास भाद्रपद शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि रात 12 बजे से तृतीया की रात 12 बजे तक उपवास किया जाता है। तीजा उपवास में माता पार्वती और भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है।