नई दिल्ली, 7 नवंबर (आईएएनएस)। देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदशों ने सर्वसम्मति से दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति योजना (डीडीयूजेवाई) के तहत मिशन मोड में 31 मार्च, 2017 तक विद्युतीकरण से वंचित सभी गांवों में विद्युतीकरण सुनिश्चित करने का फैसला किया है।
राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली, नवीन, नवीकरणीय ऊर्जा एवं खनन मंत्रियों का दो दिवसीय सम्मेलन शनिवार को यहां समाप्त हुआ, जिसमें देश में सबके लिए 2019 तक या उससे पहले 24 घंटे बिजली सुलभ कराने की योजना निर्माण से संबंधित गतिविधियों को मिशन मोड में पूर्ण करने के लिए काम करने का संकल्प किया गया।
सम्मेलन में फैसला किया गया कि सबके लिए बिजली पर जिन राज्यों के योजना दस्तावेज अभी तक तैयार नहीं हुए हैं, उन्हें सलाहकारों एवं केंद्रीय टीम सदस्यों की सहायता से जल्द तैयार कर लेना चाहिए, ताकि ये दस्तावेज 31 दिसंबर, 2015 तक तैयार हो जाएं।
सम्मेलन की अध्यक्षता केंद्रीय बिजली, कोयला तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पीयूष गोयल ने की।
राज्यों ने मंजूरी की तारीख से 30 महीनों के भीतर इसे लागू करने, समेकित बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) परियोजनाओं के त्वरित अमल सुनिश्चित करने का भी संकल्प किया।
उन्होंने 2019-20 तक राष्ट्रीय स्तर पर 15 प्रतिशत सकल तकनीकी एवं वाणिज्यिक नुकसान (एटी एंड सी) ले आने के प्रति भी संकल्प किया।
राज्यों में स्मार्ट ग्रिड गतिविधियों की योजना बनाने के लिए एक राज्यस्तरीय मिशन की भी स्थापना की जाएगी।
राज्यों ने 2018-19 तक सभी मौजूदा पारंपरिक स्ट्रीट लाईट की जगह एलईडी लगाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने का संकल्प किया है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे नौ राज्यों ने एक वर्ष के भीतर सौर ऊर्जा सहित किफायती पम्पों को मौजूदा 10 प्रतिशत कृषि जल पम्पों की जगह लगाने का भी फैसला किया है।
राज्यों ने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सौर पार्क स्थापित करने और सरकारी भवनों की छतों पर सौर टॉप स्थापित करने पर भी सहमति जताई है। जो राज्य पवन संसाधन में समृद्ध हैं, उन्होंने पहली जनवरी, 2016 तक पवन ऊर्जा के पूवार्नुमान एवं कार्यक्रम निर्धारण के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर भी सहमति जताई है।