हैदराबाद, 12 जनवरी (आईएएनएस)। प्रख्यात अभिनेता-फिल्म निर्देशक अमोल पालेकर ने सीधे तौर पर फिल्म प्रमाणन बोर्ड को खत्म किए जाने का पक्ष लेते हुए कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त इस संस्था का आचरण कई बार ‘खतरनाक’ और ‘बेतुका’ होता है।
अमोल (71) ने यहां रविवार रात चार दिवसीय एक संगोष्ठी में यह बात कही। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, “हिंसापूर्ण दुष्कर्म दृश्य को पास कर दिया जाता है, लेकिन गाली से लबरेज संवादों पर सेंसर बोर्ड की कैंची चल जाती है जबकि ऐसे शब्द किसी खास संदर्भ में जरूरी हो सकते हैं।”
मधेपुर सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित इस चार घंटे की संगोष्ठी का संचालन ‘रिवर टू रिवर फ्लोरेंस इंडिया फेस्टिवल’ के निदेशक सेल्वागिया वेलो ने किया। इस चर्चा में टेलीविजन फीचर निर्माता पवन मानवी, फिल्म अभिनेत्री एवं डिजाइनर इलाहे हेपतुल्ला, हरिहरण कृष्णन और समाजशास्त्री सैमुअल बर्थेट ने भी हिस्सा लिया।
इस दौरान अमोल ने सेंसरशिप की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह तर्कहीन सा लगता है कि प्रदर्शन के पहले फिल्मों को एक तरह के फिल्टर से गुजरना पड़ता है, जबकि टेलीविजन धारावाहिकों पर यह चीज लागू नहीं होती।
उन्होंने कहा कि पारिश्रमिक के मामले में फिल्म जगत में किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।