कोलकाता, 20 मार्च (आईएएनएस)। प्रवाल भित्तियों समेत विविध समुद्री जीव-जंतुओं से भरपूर अरब सागर की सतह के पानी में अम्लीयता की मात्रा में वृद्धि देखी जा रही है। भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वातावरण में अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड का नतीजा है।
कोलकाता, 20 मार्च (आईएएनएस)। प्रवाल भित्तियों समेत विविध समुद्री जीव-जंतुओं से भरपूर अरब सागर की सतह के पानी में अम्लीयता की मात्रा में वृद्धि देखी जा रही है। भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वातावरण में अत्यधिक कार्बन डाइऑक्साइड का नतीजा है।
रिमोट सेंसिंग तकनीक से इकट्ठा किए पिछले दस सालों के आंकड़ों का अध्ययन और विश्लेषण करने के बाद वैज्ञानिकों ने कहा कि यह सीधे तौर पर समुद्री सतह के ऊपर के कार्बन डाइऑक्सइड का नतीजा है।
शोधकर्ताओं में से एक जाधवपुर विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओसियनोग्राफिक स्टडीज की प्रोफेसर सुगाता हाजरा ने आईएएनएस को बताया, “समुद्र की सतह के पानी में बढ़ी अम्लीयता कार्बन डाइआक्साइड के अत्यधिक संचयन का नतीजा है।”
यह शोध फरवरी में करेंट साइंस में प्रकाशित किया गया। इस तुलनात्मक अध्ययन में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग सेंटर देहरादून, द इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशियन इंफरेमेशन सर्विस एंड द नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद के वैज्ञानिक भी शामिल हुए।
अरब सागर भारतीय समुद्र के उत्तरी पश्चिमी इलाके को कहते हैं जिसका कुल क्षेत्रफल 38,62,000 वर्ग किलोमीटर है। उत्तर में यह ईरान और पाकिस्तान से मिलता है तो दक्षिण में यह अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप के साथ। वहीं, पूरब में यह भारतीय प्रायद्वीप के साथ जुड़ा है। इस शोध के अंतर्गत कुल 34,71,000 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र का अध्ययन किया गया।
दुनिया के समुद्र प्राय: क्षारीय होते हैं, जिनका पीएच मान सात से ऊपर होता है। इससे कम होने पर पानी का खारापन कम होने लगता है और अम्लीयता बढ़ने लगती है। शुद्ध पानी न तो अम्लीय होता है और न ही क्षारीय होता है।