नई दिल्ली, 18 मार्च (आईएएनएस)। एक दिन पहले ही समलैंगिकता के संदर्भ में यौन रुझान को निजी पसंद बताने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने शुक्रवार को कहा कि समलैंगिकता एक मनोवैज्ञानिक विकार है।
आरएसएस के संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने इंडिया टुडे कांक्लेव में गुरुवार रात को कहा था कि उनके संगठन की इस विषय पर देने के लिए कोई सार्वजनिक राय नहीं है।
होसबले ने कहा, “समलैंगिकता पर आरएसएस का कोई रुझान क्यों होना चाहिए? यौन रुझान निजी मसला है। इस पर आरएसएस को अपनी राय व्यक्त करने की क्या जरूरत है।”
उन्होंने कहा कि समलैंगिक यौन संबंध तब तक अपराध नहीं है, जब तक यह दूसरों के जीवन को प्रभावित ना करे।
लेकिन, इसके 24 घंटे बाद ही आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने यह तो दोहराया कि समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाना चाहिए, लेकिन इसे ‘अनैतिक’ बताते हुए मनौवैज्ञानिक इलाज की जरूरत बताई।
होसबले ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “समलैंगिकता अपराध नहीं है, लेकिन हमारे समाज के लिए अनैतिक है। इसमें दंडित किए जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसका मनोवैज्ञानिक मामले की तरह इलाज करने की जरूरत है।”
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैचारिक संरक्षक माने जाने वाले आरएसएस ने यह विचार ऐसे वक्त पर पेश किया है जब कांग्रेस के सांसद शशि थरूर द्वारा प्रस्तावित समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने का विधेयक शुरुआती चरण में ही लोकसभा में परास्त हो गया था। इस विधेयक को रोकने में भाजपा सांसदों की प्रमुख भूमिका थी।