मुंबई, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती की घोषणा की। बाजार को हालांकि 25 आधार अंकों की कटौती का अनुमान था।
आरबीआई की घोषणा के कुछ ही समय बाद देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने भी कहा कि वह अपने आधार ब्याज दर में 40 आधार अंकों की कटौती करेगा, जो अक्टूबर से लागू होगी। आईसीआईसीआई बैंक सहित कुछ अन्य बैंकों ने भी इस तरह की कटौती करने के संकेत दिए।
इस कटौती के बाद रेपो दर 7.25 फीसदी से घटकर 6.75 फीसदी हो गई है। रेपो दर घटने से व्यक्तिगत, वाहन, आवास और वाणिज्यिक ऋण पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है और इससे मासिक किस्तें भी घट जाएंगी।
रेपो दर वह दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को छोटी अवधि के लिए ऋण देता है।
इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर भी 0.50 फीसदी घटकर 5.75 प्रतिशत हो गई है। रिवर्स रेपो दर वह दर है, जो रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को लघु अवधि के लिए जमा राशि पर ब्याज के रूप में देता है। नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह 4.00 प्रतिशत बना हुआ है। सीआरआर वह अनुपात है, जो वाणिज्यिक बैंकों को तरल संपत्ति के तौर पर रिजर्व बैंक के पास नकदी या सरकारी बांड के रूप में जमा रखना होता है।
सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) भी 21.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।
मौजूदा कारोबारी साल की चौथी द्विमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा, “बाजार ने पिछली कटौतियों को वाणिज्यिक पत्र और कॉरपोरेट बांडों के रूप में आगे बढ़ाया है, लेकिन बैंकों ने एक हद तक ही ऐसा किया है।”
गवर्नर ने कहा, “अत्यधिक आसान तरलता स्थिति के बाद भी बैंकों का औसत आधार ब्याज दर सिर्फ 30 आधार अंक ही घटा है।”
उन्होंने कहा, “यह जनवरी-जून अवधि में की गई 75 आधार अंकों की कटौती का एक छोटा हिस्सा ही है। बैंकों की जमा दरें हालांकि काफी घटाई गई है, जिससे पता चलता है कि इस कटौती का लाभ ग्राहकों तक और अधिक पहुंचाया जा सकता है।”
गवर्नर ने कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की, जिससे बाजार का उत्साह बढ़ सकता है।
रिजर्व बैंक की प्रतिभूतियों में विदेशी कोषों के निवेश की सीमा चरणबद्ध तरीके से मार्च 2018 तक बढ़ाकर पांच फीसदी की जाएगी। इससे 1,535 अरब रुपये की वर्तमान सीमा से ऊपरी 1,200 अरब रुपये के निवेश के लिए अतिरिक्त गुंजाइश पैदा होगी।
इसके अलावा भारतीय उद्योग जगत विदेशी बाजारों में पांच साल की न्यूनतम अवधि वाले रुपये मूल्य वाले बांड जारी कर सकता है। यह बांड कॉरपोरेट बांड में 51 अरब डॉलर की विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा के भीतर जारी किया जा सकता है।
आरबीआई ने कहा, “इससे जुटाई गई राशि का उपयोग एक छोटी नकारात्मक सूची से बाहर किसी भी चीज में किया जा सकता है।”
रिजर्व बैंक के फैसले का बाजार पर तुरंत अनुकूल असर हुआ। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स दोपहर बाद करीब 1.55 बजे 311.36 अंकों की तेजी के साथ 25,928.20 पर पहुंच गया। बाद में हालांकि तेजी का कुछ क्षरण हुआ और सेंसेक्स आखिरकार 161.82 अंकों या 0.63 फीसदी तेजी के साथ 25,778.66 पर बंद हुआ।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी भी 47.60 अंकों या 0.61 फीसदी तेजी के साथ 7,843.30 पर बंद हुआ।
एसोचैम, फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) और भारतीय उद्योग परिसंघ जैसे सभी उद्योग संघों ने मुख्य दरों में 50 आधार अंक की कटौती का स्वागत किया।
बाजार की प्रतिकूल स्थिति को देखते हुए हालांकि रिजर्व बैंक ने मौजूदा कारोबारी साल के लिए विकास दर के पूर्व घाषित 7.6 फीसदी अनुमान को घटाकर 7.4 फीसदी कर दिया।