नई दिल्ली, 8 नवंबर – 1990 के दशक में भारत आए एक इजरायली नागरिक ने देश की घरेलू जड़ी-बूटी, तुलसी पर एक सफल व्यापार उद्यम की शुरुआत की। उन्होंने यहां आकर अपना नाम बदलकर स्थानीय नाम रख लिया। योआव लेव 1990 के दशक के प्रारंभ में जब पहली बार भारत आए, तो वह उस औषधीय पौधे की तरफ आकर्षित हो गए जिसे लोग धर्म की तरह ही सम्मान करते हैं। जल्द ही लेव ने अपना नाम बदलकर भारत मित्र रख लिया जिसने उन्हें इस देश के और करीब ला दिया।
आज, मित्र और उनके सहयोगी भवानी (एक अमेरिकी जिसने भी अपना भारतीय नाम रख लिया) के पास स्वयं की ऑर्गेनिक इंडिया नामक कंपनी है, जो दुनिया भर में पैक की हुई तुलसी चाय बेचती है। हालांकि, उन्हें भारतीय औषधीय पौधे में छिपे मार्केटिंग के सार को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के धूल भरे गांवों में 12 साल तक रहना पड़ा।
मित्र ने कंपनी की फिलॉस्फी के बारे में कहा, “हम बुनियादी सच्चाई को स्वीकार करते हैं जिससे हम सभी लोग रूबरू होते हैं।”
ऑर्गेनिक इंडिया के महाप्रबंधक सौरभ तिवारी ने उन दोनों के कार्यो की तारीफ करते हुए कहा, “वे (मित्र और भवानी) दुनियाभर में तुलसी को लाना चाहते थे।” उन्होंने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बंजर भूमि को जैविक खेती के लायक बनाया।
तिवारी ने कहा, “शहरी संस्कृति ने हमें प्रकृति से दूर जाने के लिए प्रेरित किया है। इस प्रकार हमने हर भारतीय घर के प्रिय तुलसी को खो दिया है।” उन्होंने कहा, “ऑर्गेनिक इंडिया की शुरुआत देश में तुलसी को फिर से लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता के मद्देनजर किया गया। इसे चाय के रूप में ग्रहण करना सबसे बेहतर है। इस प्रकार देश का आम काढ़ा अब चाय के रूप में उपलब्ध है।”
जैविक खेतों को तुलसी की खेती करने के लिए तैयार करने के बाद, मित्र और भवानी ने तुलसी के अन्य चाय ब्रांडों के आने से पहले ही, 2003 में ‘ऑरिजिनल तुलसी टी’ बनाई। चार साल के बाद, उन्होंने अनार और चमेली जैसे, और अन्य लोकप्रिय जायके के साथ इसके आधार का विस्तार करते हुए इसमें तीन जायके – मीठा नींबू, गुलाब और मुलेठी को शामिल किया।
जायके के लिए कच्चे माल को देश भर में ऑर्गेनिक इंडिया के खेतों में पैदा किया जाता है। उदाहरण के लिए, तुलसी टी के लिए गुलाब, उत्तर प्रदेश के वृंदावन में उनके अपने खेतों से लाया जाता है।
तिवारी कहते हैं, “भारतीयों के लिए, धर्म के बाद तुलसी का ही महत्व है। इसी सम्मान के साथ इसका बाजारीकरण करने का विचार आया।
तिवारी कहते हैं, “तुलसी ब्रांड विदेशों में ज्यादा लोकप्रिय है। ऑर्गेनिक इंडिया का सालाना कारोबार 140 करोड़ रुपये का है जिसमें से आधा से भी अधिक इसके निर्यात से आता है। इसका प्रमुख बाजार अमेरिका है, लेकिन हम लगभग हर महाद्वीप में इसे उपलब्ध करा रहे हैं।”
आरोग्य एक्सपो में, प्रगति मैदान में छठी विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में पारंपरिक दवा बाजार में, ऑर्गेनिक इंडिया के स्टाल में देश और विदेशों से भारी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं।
अनार जैसे जायके वाली तुलसी टी के साथ ऑर्गेनिक स्टॉल से बाहर निकल रहे अरुण गुप्ता और उनकी बेटी गुंजन कहते हैं, “तुलसी टी में मिलने वाला जायके का मिलना दुर्लभ है। इसलिए हमने इसे खरीदा है।
तिवारी कहते हैं, “हमारे तुलसी जायके के लिए आश्चर्यजनक प्रतिक्रिया मिल रही है।” उन्होंने कहा, “दो दिनों के भीतर तुलसी टी के 10 हजार से अधिक सेशै खत्म हो चुके हैं।”
अपने तुलसी टी ब्रांड की साथ सफलता को हासिल करने के बाद, ऑर्गेनिक इंडिया फूड सप्लिमेंट के अपने उत्पादों का विस्तार कर रहा है। यह लीवर और किडनी की प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बनाए रखने के उद्देश्य से हर्बल उत्पादों का निर्माण शुरू कर करा है।
तिवारी कहते हैं, “हमारे उत्पादों की जैविक प्रकृति को बनाये रखने के लिए, सभी सप्लिमेंट को जेलाटिन की बजाय पौधों के सेलुलोज कैप्सूल में रखा जाता है।”