Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 उप्र: हिंदू संगठन ने वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाईं | dharmpath.com

Tuesday , 17 June 2025

Home » ख़बरें अख़बारों-वेब से » उप्र: हिंदू संगठन ने वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाईं

उप्र: हिंदू संगठन ने वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाईं

October 3, 2024 8:18 am by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Comments Off on उप्र: हिंदू संगठन ने वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाईं A+ / A-

साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान चला रहे संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ का मानना है कि काशी में केवल शिव की पूजा होनी चाहिए. संगठन ने कहा 10 मंदिरों से पहले ही साईं बाबा की मूर्तियों को हटा दिया गया है, आने वाले दिनों में अगस्त्यकुंड और भूतेश्वर मंदिर से भी उनकी प्रतिमा हटा दी जाएंगी.

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का मामला सामने आया है. ये मूर्तियां हिंदू संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ द्वारा शुरू किए गए अभियान के बाद मंगलवार (1 अक्टूबर) को मंदिर परिसर से हटाई गई हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, सनातन रक्षक दल ने जिले के बड़े गणेश मंदिर से साईं बाबा की एक मूर्ति को हटाकर मंदिर के परिसर के बाहर रख दिया.

इस संबंध में मंदिर के मुख्य पुजारी रम्मू गुरु ने कहा कि मंदिर में साईं बाबा की पूजा उचित जानकारी के बिना की जा रही थी, जो शास्त्रों के अनुसार वर्जित है.

इसी प्रकार, अन्नपूर्णा मंदिर के मुख्य पुजारी शंकर पुरी ने कहा, ‘शास्त्रों में साईं बाबा की पूजा का कोई उल्लेख नहीं है.’

इस बीच, अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने पीटीआई से कहा, ‘साईं एक ‘धर्म गुरु’ (उपदेशक), एक ‘महापुरुष’, ‘पीर’ या ‘औलिया’ हो सकते हैं, लेकिन भगवान नहीं हो सकते. मैं वाराणसी के उस व्यक्ति का आभारी हूं जिसने (साईं बाबा की) मूर्ति हटा दी है. मैं देश के सभी सनातनियों से आग्रह करता हूं कि वे मंदिरों से ‘चांद पीर’ (साईं बाबा) की मूर्ति हटा दें.’

उधर, साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान चला रहे संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ के प्रदेश अध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि काशी में केवल सबसे बड़े भगवान शिव की पूजा होनी चाहिए. श्रद्धालुओं की भावनाओं का सम्मान करते हुए साईं बाबा की मूर्तियों को 10 मंदिरों से पहले ही हटा दिया गया है. आने वाले दिनों में अगस्त्यकुंड और भूतेश्वर मंदिर से भी साईं बाबा की मूर्तियां हटा दी जाएंगी.

शहर के सिगरा इलाके में संत रघुवर दास नगर स्थित साईं मंदिर के पुजारी समर घोष ने कहा, ‘आज जो लोग खुद को सनातनी बताते हैं, वही लोग हैं जिन्होंने साईं बाबा को मंदिरों में स्थापित किया था और अब वही लोग हैं जिन्होंने उन्हें वहां से हटा दिया है. सभी भगवान एक हैं. भगवान को किसी भी रूप में देखा जा सकता है. इस तरह की हरकतें ठीक नहीं हैं. इससे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचेगी और समाज में कलह पैदा होगा.’

घोष ने आगे बताया कि यह साईं मंदिर रोजाना सुबह 7 बजे से रात 10 बजे तक खुलता है और साईं भक्त रोजाना पूजा करने आते हैं, जिसमें गुरुवार को करीब 4,000 से 5,000 भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं.

ऐसी घटनाओं को लेकर साईं बाबा में आस्था रखने वाले लोगों में रोष है. ऐसे ही एक व्यक्ति विवेक श्रीवास्तव ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि साईं बाबा की प्रतिमा हटाया जाना बेहद दुखद घटना है और इस घटना ने लाखों साईं भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाई है.

श्रीवास्तव ने आगे कहा, सभी भगवान एक हैं. हर किसी को भगवान की पूजा करने का अधिकार है, चाहे वे किसी भी रूप में विश्वास करते हों. साईं बाबा हिंदू थे या मुसलमान, यह हम ही हैं जिन्होंने ये भेदभाव पैदा किए हैं. भगवान इंसानों में भेद नहीं करते.’

विपक्ष ने कहा- कट्टरता देशहित में नहीं

इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष हिंदवी ने पीटीआई से कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय जनता पार्टी और उसका समर्थन करने वालों ने धर्म को राजनीति का ‘अखाड़ा’ बना दिया है, जो नहीं किया जाना चाहिए. सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जो सभी (अन्य धर्मों सहित) के सभी अच्छे पहलुओं को समाहित, आत्मसात और एकीकृत करता है. अगर कट्टरता के नाम पर वे मंदिरों से मूर्ति हटाना चाहते हैं, तो यह निश्चित रूप से देश के हित में नहीं है.’

वहीं, समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि जब किसी की आस्था के साथ खेलने की बात आती है तो भारतीय जनता पार्टी नंबर 1 खिलाड़ी नज़र आती है.अब, उन्होंने देवताओं के बीच भी भेदभाव और विभाजन शुरू कर दिया है. विभाजन और नफरत भाजपा का मूल चरित्र प्रतीत होता है. साईं बाबा के करोड़ों अनुयायी हैं. जब संविधान भेदभाव नहीं करता है तो हम ऐसा करने वाले कौन होते हैं?’

उल्लेखनीय आध्यात्मिक नेता के रूप में पूजे जाने वाले साईं बाबा धार्मिक सीमाओं से परे प्रेम, क्षमा और दान की अपनी शिक्षाओं के लिए जाने जाते हैं.

श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट शिरडी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि साईं का अर्थ साक्षात ईश्वर होता है. साईं बाबा को भारत में अब तक देखे गए सबसे महान संतों में से एक माना जाता है, जो अभूतपूर्व शक्तियों से संपन्न हैं और उन्हें भगवान के अवतार के रूप में पूजा जाता है.

वेबसाइट पर कहा गया है, ‘ये रहस्यमयी फकीर पहली बार युवावस्था में शिरडी आए थे और अपने पूरे जीवन भर वहीं रहे. उन्होंने अपने मिलने वालों के जीवन को बदल दिया और 1918 में अपनी समाधि के बाद भी लगातार अपने भक्तों के लिए ऐसा ही कर रहे हैं.’ ट्रस्ट ने यह भी उल्लेख किया है कि साईं बाबा का एक उत्कृष्ट पहलू यह है कि वह धर्म, जाति या पंथ के ‘भेदभाव से परे’ है. उन्होंने सभी धर्मों को अपनाया और प्रेम के सार्वभौमिक धर्म का प्रचार किया.

गौरतलब है कि साईं बाबा को लेकर यह विवाद कोई नया नहीं है. साल 2014 में भी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने साईं बाबा को मुसलमान फकीर बताया था, जिसके बाद काफी विवाद उत्पन्न हो गया था. उन्होंने कहा था कि शिरडी के साईं बाबा की पूजा को बढ़ावा देने से हिंदू धर्म कमजोर होगा.

पिछले साल मध्य प्रदेश के संत कहे जाने वाले धीरेंद्र शास्त्री ने भी साईं बाबा पर टिप्पणी की थी, जिसके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. उन्होंने साईं बाबा को भगवान मानने से इनकार करते हुए कहा था कि हर सनातनी को शंकराचार्य की बात माननी चाहिए.

उप्र: हिंदू संगठन ने वाराणसी के कई मंदिरों से साईं बाबा की मूर्तियां हटाईं Reviewed by on . साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान चला रहे संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ का मानना है कि काशी में केवल शिव की पूजा होनी चाहिए. संगठन ने कहा 10 मंदिरों से पहले ही सा साईं बाबा की मूर्तियां हटाने का अभियान चला रहे संगठन ‘सनातन रक्षक दल’ का मानना है कि काशी में केवल शिव की पूजा होनी चाहिए. संगठन ने कहा 10 मंदिरों से पहले ही सा Rating: 0
scroll to top