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उम्रकैद के दोषियों को रिहा कर सकती हैं राज्य सरकारें : सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक अहम आदेश में कहा कि राज्य सरकारें आजीवन कारावास की सजा प्राप्त दोषियों को क्षमादान देकर उन्हें आजाद कर सकती हैं। यह आदेश उन मामलों में लागू होगा, जिन मामलों की सीबीआई या फिर केंद्रीय कानूनों के तहत जांच नहीं हुई है।

इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय का नौ जुलाई 2014 का अंतरिम आदेश निरस्त हो गया है, जिसमें राज्य सरकारों को दोषियों को क्षमादान देने से रोका गया था।

न्यायमूर्ति एच.एल.दत्तू की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकारें उन मामलों में दोषियों को क्षमादान नहीं दे सकती जहां आजीवन कारावास का मतलब पूरा जीवन जेल में व्यतीत करना या यौन दुष्कर्म और हत्याओं के मामले में 20 या 25 साल की सजा निर्धारित की गई है।

अदालत ने यह भी कहा कि यह क्षमादान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या मामले के सात दोषियों पर लागू नहीं होगा।

अदालत ने कहा कि राज्य उस स्थिति में क्षमादान दे सकते हैं, जहां आरोपी द्वारा फैसले को चुनौती देने के लिए आवेदन नहीं किया गया हो या फिर राज्य ने स्व संज्ञान नहीं लिया हो।

अदालत ने गुरुवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा, “हम संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति और अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल को इस तरह के मामलों में क्षमादान देने के लिए अपने संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने की भी मंजूरी देते हैं।”

उम्रकैद के दोषियों को रिहा कर सकती हैं राज्य सरकारें : सर्वोच्च न्यायालय Reviewed by on . नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक अहम आदेश में कहा कि राज्य सरकारें आजीवन कारावास की सजा प्राप्त दोषियों को क्षमादान देकर उन्हें नई दिल्ली, 23 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को एक अहम आदेश में कहा कि राज्य सरकारें आजीवन कारावास की सजा प्राप्त दोषियों को क्षमादान देकर उन्हें Rating:
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