नई दिल्ली, 11 नवंबर (आईएएनएस)। प्रकाश का पर्व दिवाली देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। उत्साह से भरे लोगों ने इस मौके को धूमधाम से मनाने के लिए अपने घरों और दुकानों को रोशन किया है। दिल्ली की प्रमुख इमारतों पर भी रोशनी के खास इंतजाम किए गए हैं।
रोशनी से जगमग राजधानी वासियों में प्रदूषण को लेकर जागरूकता दिखी और देर शाम तक पटाखों का धूम-धड़ाका कम ही रहा, लेकिन पर्व का उत्साह लोगों में भरपूर देखा गया।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को दीपावली की शुभकामना दी।
राष्ट्रपति ने देशवासियों के दिवाली की शुभकामना देते हुए देशवासियों से अपील की है कि हमें दीपावली मनाने के दौरान प्रदूषण से बचना चाहिए।
वहीं मोदी ने भी ट्वीट कर देशवासियों को प्रकाश पर्व के लिए शुभकामना दी है।
बाजारों में जबर्दस्त रौनक है और पूरा शहर शाम ढलते ही रोशनी से जगमगा उठा है। धनतेरस और रूप चौदस (छोटी दिवाली) के दिन भी बाजारों में रौनक छाई रही और लोग लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों, पूजन सामग्री, घरों के लिए खूबसूरत सजावटी सामान, बंदनवार, दीयों और झिलमिलाती रोशनी बिखेरते आकर्षक लड़ियों, रंगोली के रंग और इस पर्व से जुड़े अन्य खास सामानों की खरीदारी करते दिखाई दिए।
धनतेरस से लेकर भाई दूज तक चलने वाले पांच दिनों के इस उत्सव में इस बार धनतेरस के दिन सोना-चांदी खरीदने के रिवाज को लेकर भी लोगों का काफी उत्साह देखने को मिला। त्योहार से ठीक पहले सोने चांदी की कीमतों में गिरावट के कारण सर्राफा बाजार में धनतेरस की धूम रही।
दिल्ली मेट्रो ने भी राज्य के लोगों को दिवाली का तोहफा देते हुए इस मौके पर काफी समय से प्रतीक्षित जहांगीरपुरी-बादली लाइन के बादली तक के परिचालन का शुभारम्भ छोटी दिवाली को कर दिया।
उल्लेखनीय है कि चौदह वर्ष के वनवास के बाद राजा रामचंद्र के अपने राज्य अयोध्या वापस लौटने की खुशी में लोगों ने घी के दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। कार्तिक मास की अमावस्या की वह सघन काली रात श्रीराम के स्वागत में जले झिलमिलाते दीपों की पंक्ति से रोशन हो उठी थी। तभी से इस दिन को हिंदू धर्म में पूरे उत्साह से दीप जलाकर और पूजन करके मनाने की प्रथा शुरू हुई।
दीपावली पर्व मां लक्ष्मी की उत्पत्ति की मान्यता से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी-गणेश पूजन से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है। दिवाली का यह पांच दिवसीय पर्व क्षीर सागर के मंथन से पैदा हुई लक्ष्मी के जन्म दिवस से शुरू होता है। माना जाता है कि दीपावली की रात ही मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपने पति के रूप में चुना था और उनसे विवाह रचाया था।
इस दिन लक्ष्मी के साथ ही विघ्नहर्ता गणेश, संगीत और ज्ञान की देवी सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा का भी विधान है। कुछ लोग दीपावली को भगवान विष्णु के वैकुण्ठ लौटने के दिन के रूप में मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो लोग लक्ष्मी पूजन करते हैं मां लक्ष्मी उनसे प्रसन्न रहती हैं और वे पूरे वर्षभर खुशहाल रहते हैं।