नई दिल्ली, 23 जून (आईएएनएस)। देश में फार्माश्यूटिकल आउटसोर्सिग का बाजार (बगैर कंट्रैक्ट मैन्यूफैक्च रिंग सर्विस के) 2.5-3.1 अरब डॉलर का है और यह मेडिकल प्रोसेस आउटसोर्सिग (एमपीओ) बाजार का 75 फीसदी है। यह बात मंगलवार को यहां जारी एक अध्ययन में कही गई।
एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्र ऑफ इंडिया (एसोचैम) और वैश्विक पेशेवर सेवा कंपनी अर्न्स्टएंडयंग (ईवाई) द्वारा कराए गए अध्ययन के मुताबिक एमपीओ बाजार अभी 3.3-4.2 अरब डॉलर का है।
‘भारत में मेडिकल प्रोसेस आउटसोर्सिग’ शीर्षक अध्ययन के मुताबिक, भारत का पेयर आउटसोर्सिग बाजार 70-90 करोड़ डॉलर का है, जबकि प्रोवाइडर आउटसोर्सिग का बाजार करीब 10-20 करोड़ डॉलर का है।
अमेरिका के हाल के नियम ‘पेशेंट प्रोटेक्शन एंड अफोर्डेबल केयर एक्ट’ (पीपीएसीए) और प्रस्तावित आईसीडी-10 मानक से एमपीओ बाजार को गति मिली है।
इसके अलावा भारतीय कंपनियां भी अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता बरकरार रखते हुए सेवाओं के मामले में मूल्य श्रंखला में ऊपर की तरफ बढ़ रही हैं।
अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है, “इन सबके संयुक्त प्रभाव से एमपीओ बाजार का विस्तार होगा। भारतीय पेयर बीपीओ बाजार अगले तीन-चार साल में करीब 10 फीसदी सालाना की दर से बढ़ सकता है, प्रोवाइडर आउटसोर्सिग बाजार 2011-16 के बीच 30 फीसदी से अधिक की रफ्तार से और कंट्रैक्ट रिसर्च आउटसोर्सिंग बाजार आने वाले वर्षो में 18-20 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकता है।”
एसोचैम महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “हम समझते हैं कि स्वास्थ्य सेवा उपभोक्ताओं, प्रदाताओं और फार्माश्यूटिकल कंपनियों में गैर-प्रमुख कार्यो को तृतीय पक्ष सेवा प्रदाताओं के सुपुर्द करने का रुझान बढ़ रहा है और भारत इस क्षेत्र में आउटसोर्सिग का एक प्रमुख गंतव्य है।”
ईवाई इंडिया के साझेदार एवं प्रौद्योगिकी उद्योग के प्रमुख मिलन सेठ ने कहा, “स्वास्थ्य सेवा आउटसोर्सिग बाजार में भारत अमेरिका के बाद दूसरे सबसे बड़े गंतव्य के रूप में उभरा है। विशाल आंकड़ों का विश्लेषण करने और पैटर्न समझने में भारतीय कंपनियों की बढ़ती क्षमता के कारण बाजार में नई सेवाओं के लिए संभावनाएं खुल रही हैं।”