पणजी, 3 जनवरी (आईएएनएस)। म्हदेई नदी जल विवाद के संबंध कर्नाटक के भाजपा नेता बी.एस. येदियुरप्पा को लिखे अपने पत्र की आलोचना पर गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक को अपने हिस्से का पानी मिलना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जो अन्यथा विचार रखते हैं, वे हवाई महल में जीते हैं। पणजी स्थित प्रदेश सचिवालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए पर्रिकर ने कहा कि मुख्य विवाद इस बात को लेकर है कि कर्नाटक म्हदेई बेसिन के पानी को मालप्रभा नदी बेसिन की तरफ नहीं मोड़ सकता है। यह कानून के विरुद्ध है और गोवा की ओर से अंतर्राज्यीय जल विवाद को लेकर यही तर्क म्हदेई जल विवाद अधिकरण के सामने दिया गया है।
पर्रिकर ने कहा, “अगर कोई यह समझता है कि कर्नाटक पानी नहीं ले सकता है तो इसका मतलब वह हवाई महल में जी रहा है। उसे कानून की समझ नहीं है। अगर कोई नदी कर्नाटक से होकर बहती है तो आप उसे पानी से कैसे मना कर सकते हैं। उसे पेयजल या उपने इलाके में इस्तेमाल करने के लिए पानी चाहिए।”
म्हदेई नदी को मांडवी नदी भी कहते हैं। यह नदी उत्तर गोवा की जीवन रेखा है। मांडवी नदी कर्नाटक से निकलती है और गोवा के पणजी में अरब सागर में मिलती है। नदी महाराष्ट्र के कुछ हिस्से से भी गुजरती है। कर्नाटक में नदी की लंबाई 28.8 किलोमीटर और गोवा में 52 किलोमीटर है।
येदियुरप्पा को लिखे पत्र को लेकर पर्रिकर को अपने ही मंत्रिमंडल में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मत्स्यपालन मंत्री व गोवा फारवर्ड के नेता विनोद पालनकर ने पत्र को लेकर विरोध जाहिर किया है।
कर्नाटक के सांसद एस. पी. मुद्दहानुमेगोडा ने शून्यकाल के दौरान संसद में कहा था कि मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने मसले को अधिकरण के बाहर वार्ता के जरिए सुलझाने के लिए पहले ही येदियुरप्पा को पत्र लिखा है। इसपर संसदीय कार्यमंत्री के आश्वासन दिए जाने के बारे में सवाल पर पर्रिकर ने कहा, “क्या मैंने बयान दिया है? अगर वे एक दूसरे को प्रलोभन देते हैं तो मैं क्या करूं? मैं किसी की मांग के लिए उत्तरदायी नहीं हूं। मैंने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।”