जम्मू, 26 मार्च (आईएएनएस)। जम्मू एवं कश्मीर में सरकार बनाने की प्रक्रिया शनिवार को शुरू हो गई। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राजभवन में राज्यपाल एन.एन. वोहरा से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्यपाल को सूचित किया वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में पीडीपी अध्यक्ष का समर्थन करने को तैयार है।
शपथ ग्रहण की तारीख हालांकि अभी तय नहीं हुई है, क्योंकि दोनों दलों के बीच मंत्रियों के विभागों के बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। दोनों दलों के नेताओं का कहना है कि इस मसले को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।
सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद महबूबा और भाजपा विधायक दल के नेता व पार्टी के नामित उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा, “हमें अपने गठबंधन के साझीदार से इस बारे में बात करनी है।”
राजभवन से बाहर आने के बाद महबूबा ने संवाददाताओं से कहा, “हमारी सरकार नए उत्साह के साथ मुफ्ती साहब की विकास व शांति के सपने को पूरा करेगी।”
विभागों के बंटवारे पर दोनों पार्टियों के बीच किसी तरह के मतभेद को नकारते हुए उन्होंने कहा, “जो भी समस्या होगी, हम मिलकर सुलझा लेंगे।”
जम्मू में राज्यपाल से मुलाकात के समय पीडीपी के वरिष्ठ नेता और सांसद मुजफ्फर हुसैन बेग और ताकिर हामिद कार्रा भी महबूबा के साथ थे। यह एक संकेत था कि पार्टी भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के महबूबा के फैसले का समर्थन करती है।
पिछले साल जब मुफ्ती मुहम्मद सईद ने विपरीत विचारधारा वाली भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तो कार्रा और बेग ने कड़ा विरोध किया था।
सईद के दिवंगत हो जाने के बाद भाजपा के बार-बार आग्रह पर भी महबूबा सरकार बनाने से कदम पीछे खींचती रही थीं। इसी हफ्ते जब वह नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलीं तब बात बनी। महबूबा ने कहा कि मोदी ने उनकी सरकार को हर संभव सहयोग देने का वादा किया है।
पीडीपी विधायकों ने गुरुवार को ही पार्टी अध्यक्ष महबूबा को विधायक दल की नेता चुन लिया था।
पीडीपी के पास 27 विधायक हैं (मुफ्ती मोहम्मद सईद को मिलाकर कुल 28 थे) और पार्टी को लद्दाख क्षेत्र के एक निर्दलीय विधायक भी समर्थन दे रहे हैं।
उधर, भाजपा के पास 25 विधायक हैं और तीन अन्य विधायक उसे समर्थन दे रहे हैं। इनमें से दो पीपुल्स कान्फ्रेंस के और एक निर्दलीय हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 87 सीटें हैं।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के एक दिन बाद आठ जनवरी से ही जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन है।
महबूबा अभी अनंतनाग से सांसद हैं। उन्हें छह महीने के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना पड़ेगा और संसद की सदस्यता छोड़नी पड़ेगी।
इस बीच, कांग्रेस ने नए गठबंधन पर सवाल उठाए हुए कहा कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर नई सरकार का क्या रुख रहेगा? पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “यह स्पष्ट होना चाहिए, क्योंकि पीडीपी मानती है कि अफजल को फांसी देना न्याय की निष्फलता है।”
वहीं, दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के नेता कुमार विश्वास ने शनिवार को महबूबा मुफ्ती को अफजल गुरु पर अपना नजरिया स्पष्ट करने का आग्रह किया।
महबूबा ने वर्ष 2001 में संसद पर हमले में अफजल गुरु की कथित भूमिका के लिए उसे फांसी दिए जाने को गलत ठहराया था।
कुमार विश्वास ने जम्मू एवं कश्मीर की भावी मुख्यमंत्री महबूबा को पत्र लिखकर नौ फरवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में भारत विरोधी नारे लगाकर लापता हुए नकाबपोश कश्मीरी युवकों की गिरफ्तारी में सहयोग करने का आग्रह किया है।
विश्वास ने पत्र में लिखा, “हमें पता चला है कि आप भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली हैं, लेकिन संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को शहीद मानने जैसे कई मुद्दों पर आपके विचार स्वीकार नहीं किए जा सकते। हमें यह भी पता चला है कि अफजल पर अब आपने अपना पुराना नजरिया बदल लिया है। क्या है आपका नया नजरिया?”
विश्वास ने महबूबा से कहा, “आपके नेतृत्व में सरकार गठन की संभावना पर बधाई। आपको खुद मीडिया में बयान देना चाहिए कि आप अफजल गुरु को अब एक शहीद नहीं, बल्कि देशद्रोही मानती हैं।”