लखनऊ, 2 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुन्ना सिंह को निलंबित कर दिया है।
लखनऊ, 2 मई (आईएएनएस/आईपीएन)। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल एवं कुलाधिपति राम नाईक ने कानपुर स्थित चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुन्ना सिंह को निलंबित कर दिया है।
निलंबन अवधि में मुन्ना सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय से संबद्ध रहेंगे। प्रो. सिंह के विरुद्ध मिलीं शिकायतों की विभागीय जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की जाएगी।
राज्यपाल द्वारा पूर्व में प्रारंभिक जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष न्यायमूर्ति एस.के. त्रिपाठी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश तथा सदस्य मिल्खा सिंह औलख, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति, फैजाबाद स्थित नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अख्तर हसीब थे। जांच समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट 8 अप्रैल को राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत की थी।
जांच रिपोर्ट में कुलपति प्रो. मुन्ना सिंह को (1) शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अवैध रूप से पद सृजित करने, (2) अभ्यर्थियों के चयन हेतु निर्धारित मानकों में अवैध रूप से परिवर्तन करने, (3) शिक्षकों के चयन हेतु जारी किए गए विज्ञापन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता को न्यून करने, (4) कृषि विज्ञान केंद्रों के कार्यक्रम समन्वयकों के चयन हेतु निर्धारित मानकों को अवैध रूप से न्यून करने, (5) अभ्यर्थियों से उनकी नियुक्ति हेतु प्रोफेसर मुन्ना सिंह की पत्नी द्वारा अवैध रूप से बड़ी धनराशि की मांग करने पर एक अभ्यर्थी द्वारा उनकी आवाज को टेप करते हुए निर्मित की गई सीडी की सत्यता को प्रो. मुन्ना सिंह द्वारा परोक्ष रूप से स्वीकार करने, (6) अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों के लिए निर्धारित आरक्षण के प्रतिशत को जानबूझकर अवैध रूप से बढ़ा देने तथा (7) अनुचित उद्देश्य की पूर्ति हेतु अभ्यर्थियों का साक्षात्कार विश्वविद्यालय परिसर में न लेकर लखनऊ के आईआईएसआर में कराने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।