भोपाल, 26 मार्च (आईएएनएस)। आप देश के किसी भी हिस्से में चले जाइए, हर तरफ आपको केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित विभिन्न योजनाओं के बड़े-बड़े साइन बोर्ड नजर आ जाएंगे, देश के अलग-अलग हिस्सों में एक ही योजना का अलग-अलग नाम मिलना आम बात है, क्योंकि इन योजनाओं के नामकरण की कोई नीति नहीं है।
भोपाल, 26 मार्च (आईएएनएस)। आप देश के किसी भी हिस्से में चले जाइए, हर तरफ आपको केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित विभिन्न योजनाओं के बड़े-बड़े साइन बोर्ड नजर आ जाएंगे, देश के अलग-अलग हिस्सों में एक ही योजना का अलग-अलग नाम मिलना आम बात है, क्योंकि इन योजनाओं के नामकरण की कोई नीति नहीं है।
यह खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार के तहत नीति आयोग द्वारा दिए गए जवाब से।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सूचना के अधिकार कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने केंद्र सरकार से सूचना के अधिकार के तहत जानना चाहा था कि केंद्र सरकार की वित्त पोषित कितने संस्थान व योजनाएं महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, कमला नेहरू, मोती लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव और अन्य स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के नाम पर संचालित हैं, वहीं कितनी योजनाएं ऐसी हैं, जिनका नामकरण गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर नहीं है।
गौड़ द्वारा मांगी गई जानकारी पर डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडीचर ने साफ तौर पर कहा कि इस तरह की जानकारी निरंक है। साथ ही सूचना के अधिकार के अधिनियम का हवाला देते हुए चाही गई जानकारी को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया।
इसके बाद गौड़ ने कैबिनेट सचिवालय से योजनाओं के नाम निर्धारण के संदर्भ में जानकारी और नीति का ब्योरा मांगा। उन्होंने जानना चाहा कि केंद्रीय निधि से वित्तपोषित और संचालित संस्थानों और योजनाओं के नामकरण की क्या नीति है और नामकरण कौन निर्धारित करता है?
इस पर नीति आयोग की ओर से आठ मार्च को जो जवाब दिया गया है, उसमें साफ कहा गया है कि कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से योजनाओं के नामकरण के लिए प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद उन्हें अनुमोदित किया जाता है, ऐसे प्रस्तावों में योजनाओं की नामावली होती है।
नीति आयोग के जवाब में आगे बताया गया है कि योजनाओं व कार्यक्रमों की नामावली के सुझाव के लिए मंत्रालय या विभाग के लिए कोई औपचारिक एवं समान दिशा निर्देश नहीं है।
नीमच निवासी सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने नीति आयोग के जवाब के बाद कहा है कि केंद्रीय निधि से संचालित होने वाली योजनाओं के नामकरण के लिए किसी स्पष्ट नीति या नियम का न होना ही नामकरण में ‘राजनीतिक मनमानी’ का कारण है।
उन्होंने कहा कि देश में प्रचलित अधिकांश योजनाओं और संस्थाओं के नाम कुछेक राजनेताओं के नाम पर ही रखे गए हैं, जबकि देश को बनाने में अनेक नायकों का अतुलनीय योगदान रहा है, पर उनके नाम पर कोई संस्थान या योजना नहीं है।
गौड़ ने आगे कहा कि देश उन भुला दिए गए महानायकों के योगदान का भी सदैव ससम्मान स्मरण करता रहे, इसके लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द इस मामले में कोई उचित नीति, नियम या दिशा-निर्देश तय हो, ताकि हमारी वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों को भी उन महानायकों के योगदान के बारे में पता चल सके, जो गुमनाम हैं।