रांची, 10 मार्च (आईएएनएस)। संथाल परगना में अडानी को कथित रूप में कम कीमत में अडानी को जमीन देने के मामले पर गुरुवार को झारखंड विधानसभा में हंगामा हुआ।
इस मंडल के तहत छह जिले आते हैं।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के विधायक स्टीफन मरांडी ने इस मामले में विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव रखते हुए कहा, “राज्य सरकार ने 28-10-2015 को दिए गए अपने आदेश के मुताबिक संथाल परगना में जमीन की कीमत में 80 फीसदी की कमी की। यह भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि जमीन के दाम 80 फीसदी तक कम किए गए। यह अडानी समूह के लिए किया गया।”
जब विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने स्थगन प्रस्ताव नामंजूर कर दिया तो विपक्षी सदस्य शोरगुल करने लगे और प्रश्नकाल के दौरान अध्यक्ष के मंच के पास आ गए। उन्होंने इस फैसले को वापस लेने की मांग की।
बाद में रिपोर्टरों से बात करते हुए विपक्ष के नेता जेएमएम नेता हेमंत सोरेने ने कहा कि जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता, हमारा आन्दोलन जारी रहेगा।
विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा के स्थगित होने के बाद उसके द्वार पर नारेबाजी की और कहा, “राज्य सरकार और अडानी समूह के बीच हुए 5,000 करोड़ रुपये के जमीन सौदे की सीबीआई जांच होनी चाहिए।”
झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी) के विधायक प्रदीप यादव ने कहा, “अडानी समूह को 5,000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने के लिए यह सौदा 1,000 करोड़ रुपये में किया गया। नई दरों के तहत एक एकड़ जमीन की कीमत 1.25 करोड़ रुपये से घटाकर 13 लाख रुपये कर दी गई, जबकि रेलवे लोगों से 58 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से जमीन का अधिग्रहण करता है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण 75 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहण करता है। अब राज्य सरकार अडानी समूह की मदद के लिए महज 13 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से अधिग्रहण कर रही है।”
वहीं, मुख्यमंत्री ने सदन को सूचित किया, “यह दर वित्त सचिव की रिपोर्ट के आधार पर तय किया गया है। यह रिपोर्ट वैज्ञानिक तरीके से तैयार की गई है। अब इस दर को रद्द कर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है जो किसानों से बातचीत कर 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी।”
मुख्यमंत्री के इस जबाव से असंतुष्ट होकर जेएमएम और जेवीएम-पी के सदस्य विधानसभा का बहिष्कार करते हुए सदन से बाहर चले गए।
मुख्यमंत्री के जवाब के बाद हेमंत सोरेन ने कहा, “जमीन का अधिग्रहण नहीं होना चाहिए.. इसकी बजाए जमीन लीज पर लेनी चाहिए ताकि जमीन के मालिकों का मालिकाना हक बरकरार रहे।”
पिछले महीने अडानी समूह ने झारखंड सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया था जिसके तहत कंपनी संथालपरगना में 1,600 मेगावॉट का बिजली घर लगाएगी और इसमें 15,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।