चेन्नई, 15 जनवरी (आईएएनएस)। तमिलनाडु में शुक्रवार को लोग उत्साह के साथ पोंगल मना रहे हैं। लोग सुबह जल्दी जगे और नहाने-धोने के बाद नए कपड़े पहनकर मंदिरों में पूजा के लिए जाते नजर आए।
पोंगल के दौरान लोग सूर्य, वर्षा और खेतों में काम करने वाले जानवरों का शुक्रिया अदा करते हैं।
इस दिन घरों में पारंपरिक भोज बनता है। चकाराई पोंगल के तत्वों को दूध में उबाला जाता है और इसे ‘पोंगोलो पोंगल, पोंगोलो पोंगाल’ कहा जाता है।
शक्कर, घी और दूध से तैयार पारंपरिक भोज का भोग सूर्य को लगाया जाता है और उनका धन्यवाद किया जाता है। सभी पड़ोसी एक-दूसरे को चकराई पोंगल के साथ उत्सव की शुभकामनाएं देते हैं।
यह उत्सव चार दिनों तक मनाया जाता है। पहले दिन को ‘भोगी’ कहते हैं और इस दिन लोग अपने पुराने कपड़ों और अन्य चीजों को जलाकर नई चीजों से घर को सजाते हैं।
उत्सव के दूसरे दिन मुख्य पोंगल उत्सव मनाया जाता है और इस अवसर पर गांवों में खुले मैदान में मीठा पोंगल तैयार किया जाता है।
पोंगल के तीसरे दिन का उत्सव मट्टु पोंगल के नाम से जाना जाता है और इस दिन गायों और बैलों को स्नान कराया जाता है और उनके सीगों को रंग कर पूजा की जाती है।
इस अवसर पर महिलाएं पक्षियों को रंग-बिरंगे चावलों का भोग लगाकर उनसे अपने भाइयों की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगती हैं।
उत्सव के चौथे दिन यानी कान्नुम पोंगल के दिन लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं।
हालांकि, स्थानीय लोगों के अनुसार जलीकट्टू के लिए प्रसिद्ध मदुरै जिले के अलंगनाल्लुर में पोंगल का उत्साह लोगों में कम नजर आ रहा है, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने जलीकट्टू पर रोक लगा दी है।