लखनऊ, 12 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के एक गांव में सात माह पूर्व दुष्कर्म की शिकार हुई तेरह साल की एक बच्ची का मां बनना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के डॉक्टरों का पैनल उसका गर्भपात करने से इनकार कर चुका है।
लखनऊ, 12 सितंबर (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के एक गांव में सात माह पूर्व दुष्कर्म की शिकार हुई तेरह साल की एक बच्ची का मां बनना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के डॉक्टरों का पैनल उसका गर्भपात करने से इनकार कर चुका है।
घटना करीब सात माह पुरानी है, बाराबंकी जिले के मसौली थाना क्षेत्र के मुजफ्फरपुर गांव के मजरा नेवला सरकंडा में एक नाबालिग लड़के ने कक्षा पांच में पढ़ने वाली छात्रा के साथ 17 फरवरी को उस समय दुष्कर्म किया था, जब वह पूजा कर रात में मंदिर से लौट रही थी। रास्ते में हुई वारदात की जानकारी उसने अपने परिजनों को नहीं दी, लेकिन जुलाई में पेट दर्द की शिकायत पर डॉक्टर के यहां जाने पर उसके गर्भवती होने की पुष्टि होने पर उसने सच्चाई बता दी थी। इलाकाई पुलिस ने आठ जुलाई को पीड़िता के पिता की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
इधर, पीड़िता के पिता ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में याचिका दायर कर बेटी के गर्भपात कराने की इजाजत मांगी। अदालत ने कुछ शर्तो के आधार पर इजाजत तो दे दी, लेकिन गुरुवार को किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के डॉक्टरों के एक पैनल ने पीड़िता की जांच करने के बाद यह कह कर गर्भपात करने से इनकार कर दिया कि गर्भपात पांच माह की प्रेग्नेंसी में ही हो सकता है, इस समय गर्भस्थ शिशु साढ़े सात माह का है, इसलिए शिशु को प्रसव कराकर ही जीवित निकालना पड़ेगा।”
किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस.पी. जैसवार का कहना है कि बच्ची की उम्र अभी 13 साल की है, वह खुद बहुत छोटी है। अभी उसके शरीर का संपूर्ण विकास नहीं हुआ है। प्रसव के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। पीड़िता के साथ गर्भस्थ शिशु की सेहत ठीक है, इस समय प्रसव कराने पर शिशु प्री-मैच्योर होगा।
डॉ. जैसवार का कहना है कि तीन डॉक्टरों के पैनल की रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की जाएगी, आगे की कार्रवाई अदालत के आदेश पर निर्भर है।
कुल मिलाकर उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ अगर चिकित्सकों के पैनल की रिपोर्ट पर सहमत होती है तो 13 साल की इस दुष्कर्म पीड़िता को न चाहते हुए भी ‘मां’ बनना होगा। पीड़िता अपनी याचिका में पहले ही कह चुकी है कि बच्चे के जन्म लेने से वह जिंदगी भर कलंक झेलती रहेगी।