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दिल्ली : ‘सदा-ए-रूह’ में बही गजलों की बयार (फोटो सहित)

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। रूहानी सर्द शाम और शायरी व गजलों का दौर! कुछ ऐसा माहौल सजा रविवार की शाम जब हार्वर्ड से पढ़े, बॉस्टन के कुशल आर्थोपेडिक सर्जन व संवेदनशील व्यक्तित्व डॉ. ऑनाली कपासी ने अंग्रेजी कविताएं सुनाईं और उस्ताद शकील अहमद ने हिंदुस्तानी गजलें पेश कीं। उपस्थित कालप्रेमी दोनों व्यक्तित्वों की रचनाएं सुनकर गदगद हुए।

मौका था दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में गैर सरकारी संगठन साक्षी द्वारा आयोजित संध्या ‘सदा-ए-रूह’ का। जश्न-ए-तहजीब की अध्यक्ष डॉ. मृदुला टंडन द्वारा प्रस्तुत इस काव्य संध्या में मौके पर डॉ. कपासी की नई कथा-पुस्तक ‘कश्मीर ऑन फायर’ का विमोचन भी किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. कपासी ने अपनी पहली पुस्तक ‘माइंड्स आई’ से कुछ चुनिंदा कविताएं सुनाईं। हालांकि इन कविताओं व शायरी का माध्यम अंग्रेजी थी, लेकिन कविताओं व शायरी के शौकीनों ने इनका भरपूर लुत्फ उठाया।

डॉ. कपासी ने हर कविता के पीछे रही अपनी प्रेरणा और जज्बात से भी श्रोताओं को रूबरू कराया। इसी दौरान उन्होंने मेहमानों को अपनी नई पुस्तक ‘कश्मीर ऑन फायर’ से भी रूबरू कराया एवं विधिवत अंदाज में इसका विमोचन किया गया।

कपासी ने बताया कि ‘कश्मीर ऑन फायर’ दो दोस्तों की कहानी है। कृष्णा कश्मीरी ब्राह्मण है और मुस्तफा कश्मीरी मुसलमान। दोनों ही श्रीनगर में मेडिकल के विद्यार्थी हैं। मुस्तफा के पिता पत्रकार हैं और उनकी रिपोर्टिग से नाराज कट्टरपंथी समूह द्वारा उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी जाती है, जिनमें मुस्तफा बच जाता है और किसी तरह दिल्ली आ जाता है।

समस्याओं से जूझते हुए वह अपना प्रशिक्षण पूरा करता है, इसी दौरान उसका एक हिंदू लड़की से प्रेम हो जाता है। यहां भी कट्टरपंथी उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर देते हैं। लेखक ने बताया कि यह प्यार व उच्चतम नैतिकता व धार्मिक सहिष्णुता की कहानी है। एक ऐसी कहानी, जिसका सुखद अंत होता है।

कार्यक्रम का अन्य आकर्षण उस्ताद शकील अहमद की गजल रहीं। उन्होंने उस्तादों की गजलों सहित अपने आने वाले अलबम की गजलें भी पेश कीं।

डॉ. मृदुला टंडन ने बताया कि यह आयोजन साक्षी इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ कल्चर की कड़ी के अंतर्गत ‘जश्न-ए-तहजीब’ श्रृंखला की तीसरी कड़ी है। जहां अंग्रेजी व हिंदी शायरी व गजलों के साथ-साथ एक चित्ताकर्षक कथा का समागम है। इसमें प्यार, नैतिकता, सहिष्णुता, भाषा व उच्च स्तरीय शायरी एवं गजलों की खूशबू ने सभी का आकर्षित किया।

उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ का प्रचार प्रसार करते हुए एक खूबसूरत पारिदृश्य आवाम तक पहुंचाना है, जिससे कि वे कला-संस्कृति, गीत-संगीत व भाषाओं की महक से रूबरू हों।”

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